कानपुर, पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव का अपहरण हुए 31 दिन बीतने के बाद भी पुलिस अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने मे नाकाम रही है।
फिरौती की 30 लाख रूपये की रकम दिलाकर बदमाशों को दिलवाने के बाद भी पुलिस अपहरणकर्ताओं को पकडऩे मे नाकाम रही।
पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव का अपहरण हुए 31 दिन बीतने के बाद फिरौती की रकम दिलाकर बदमाशों को पकडऩे की डींगे हांकने वाली पुलिस के पास तमाम सवालों के जवाब में बस खामोशी है।
संजीत अपहरणकांड में एसएसपी दिनेश कुमार ने बर्रा थाने पहुंचकर तफ्तीश में जुटी पूरी टीम के साथ केस की समीक्षा की। पुलिस ने सर्विलांस के जरिए अपहरण से एक माह पहले तक की पूरी कॉल डिटेल निकलवाई है। संजीत की जिन लोगों से बातचीत होती थी, उन सभी से पूछताछ की जा रही है। तमाम पुराने दोस्तों की भी सूची बनाई गई है।
अपहरणकर्ताओं को फर्जी आइडी पर एक्टिवेट सिमकार्ड बेचने वाले सचेंडी के दुकानदार का कहना है कि उसने दुकान से सिमकार्ड बेचे थे लेकिन ग्राहकों को नहीं पहचानता है। जबकि इस दुकान से ही खरीदे गए दो सिमकार्ड से संजीत को फोन किया गया और फिरौती मांगी गई थी। लेकिन पुलिस दुकानदार से और कुछ उगलवाने मे असमर्थ रही।
अब तक के पूरे प्रकरण मे पुलिस की लापरवाही से एक युवक की जान पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। गरीब परिवार वाले भी अब हताश निराश होकर आत्मदाह करने की बात करने लगे हैं। बहन रूचि यादव ने कहा कि यदि भाई नही मिला तो हम लोग जीकर क्या करेंगे, हम सब अब आत्मदाह करेंगे।