नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने ‘मी टू’ मुहिम के दौरान जिन लोगों पर यौन कदाचार के आरोप लगे थे उनके खिलाफ प्राथमिक दर्ज करने और उन पर मुकदमा चलाने की मांग करने वाली दो याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि जब पीड़िता खुद अदालत का रूख करेगी तभी मामले पर विचार किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने वकील एमएल शर्मा और महेश कुमार तिवारी की ओर से दायर दो पृथक जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इन वकीलों ने यौन कदाचार और महिलाओं पर हमले को लेकर जनहित याचिकाएं लगाई थीं। ये महिलाएं अब सामने आई हैं और आरोपियों का नाम लिया है। पीठ ने शर्मा से पूछा कि इस मामले में आपकी क्या हैसियत है और कहा कि अगर कोई पीड़िता अपनी शिकायत लेकर अदालत आती तो समझा जा सकता है। अदालत ने कहा कि वह जनहित याचिका पर विचार नहीं कर सकती है।