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SC ने केंद्र सरकार से पूछा ,जो खुद चुनाव नहीं लड़ सकता पार्टी कैसे बना सकता है…

नयी दिल्ली,  उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार के समक्ष सवाल खड़ा किया कि जो व्यक्ति खुद चुनाव नहीं लड़ सकता वह राजनीतिक पार्टी कैसे बना सकता है और चुनाव लड़ने के लिए पार्टी उम्मीदवार का चयन कैसे कर सकता है.

 मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने उस वक्त यह सवाल खड़ा किया जब केंद्र सरकार ने कहा कि दोषी पाये जाने पर कोई व्यक्ति चुनाव भले ही नहीं लड़ सकता है, लेकिन वह पार्टी का गठन कर सकता है। न्यायालय ने कहा कि जो व्यक्ति खुद चुनाव नहीं लड़ सकता वह दूसरे को उम्मीदवार के तौर पर कैसे खड़ा कर सकता है।

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 शीर्ष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को इस मामले पर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार का कहना है कि जो भी नेता दोषी ठहराये गये हैं उन्हें पार्टी का गठन करने से रोकने का कोई कानून नहीं है। सरकार ने कहा कि अपराध साबित होने के बाद नेता चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

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 केंद्र सरकार का जवाब सुनने के बाद न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह अलग तरह की स्थिति है कि कोई व्यक्ति खुद तो चुनाव मैदान में उतर नहीं सकता लेकिन वह चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग अगर स्कूल या कोई दूसरी संस्था बनाते है तो इसमें किसी भी तरीके की कोई समस्या या परेशानी नहींए लेकिन वह एक पार्टी बना रहे हैं जो सरकार चलाएगी यह बात निश्चित तौर पर विचारणीय है।

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 अदालत ने सरकार से चुनाव प्रक्रिया की प्राथमिकता तय करने पर भी बल दिया है। गौरतलब है कि न्यायालय उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रहा हैए जिसमें दोषी नेताओं को राजनीतिक पार्टी बनाने और किसी भी पार्टी के किसी सदस्य के रूप में बने रहने को चुनौती दी गयी है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 26 मार्च को होगी।

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 इस बीच निर्वाचन आयोग ने हलफनामा दायर कर राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार दिये जाने की मांग की है। अभी आयोग पार्टियों का पंजीकरण तो करता हैए लेकिन नियम तोड़ने वाली पार्टियों का पंजीयन रद्द करने का अधिकार उसके पास नहीं है। हलफनामे में निर्वाचन आयोग ने कानून में बदलाव की भी मांग की हैए ताकि पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए वह दिशानिर्देश बना सके।

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