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आज से दिल्ली में दूसरा सिरोलॉजिकल सर्वे शुरू,पहले की रिपोर्ट थी चौंकानेवाली

नयी दिल्ली, आज से दिल्ली में दूसरा सिरोलॉजिकल सर्वे शुरू हो गया है जो पांच अगस्त तक चलेगा।

सिरोलॉजिकल सर्वे में खून का नमूना लेकर जांच की जाती है कि आपके शरीर मे एंटीबॉडी बनी हैं या नहीं, अगर पॉजिटिव आया तो इसका मतलब है कि कोरोना हुआ था और आप ठीक हो गए और शरीर में एंटीबॉडीज बन चुकी। पहले सिरोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट में 24 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी बनने की बात सामने आई थी। इसका मतलब 24 प्रतिशत लोग पॉजिटिव होकर ठीक हो गए थे। अब हम देखना चाहते हैं कि एक या डेढ़ महीने के बाद उसमें कितना फर्क आया है, पिछली बार 24 प्रतिशत था, इस बार देखना चाहते हैं कि कितना फर्क आया है।

पहला सर्वे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के साथ मिलकर 27 जून से 10 जुलाई तक हुआ था। इसके अध्ययन में पाया गया था कि दिल्ली में जिन लोगों का सर्वे किया गया उनमें से करीब एक चौथाई लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आए थे।

सर्वे के नमूना आकार पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा यह वैज्ञानिक आधार पर होता है, सारे शिक्षण संस्थानों के हिसाब से किया जाता है, बहुत ही पेचीदा है… किसका नमूना लिया जायेगा किस क्षेत्र से लिया जायेगा, पूरी दिल्ली को प्रतिनिधित्व बनाकर उस हिसाब से किया जाएगा।

दिल्ली में कोरोना की स्थिति का उल्लेख करते हुए श्री जैन ने कहा कि शुक्रवार को 1195 नये मामले आये थे और कुल आंकड़ा 1,35,598 हो गया है। सक्रिय मामले 10,705 हैं और दिल्ली इस मामले में अब 12वें नम्बर पर है,जबकि पहले, दूसरे नम्बर पर होती था। दिल्ली में वायरस 50 दिन में दुगना हो रहे हैं जबकि देश में 21 दिन में ऐसा हो रहा है । दिल्ली में 2932 मरीज अस्पतालों में हैं जो कुल उपलब्ध बेड का 20 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा पूरे देश में मामले तेज़ी से बढ़े हैं। श्री जैन ने कहा,”लॉकडाउन से हमने सीखा है, मामले बढ़ने से रोकना है तो मूल मानकों का अनुपालन करना होगा.. मास्क लगाइये, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करिये, और साबुन से हाथ धोते रहिये । लाॅकडाउन के बावजूद भी दिल्ली में कोरोना बढ़ रहे थे।

उल्लेखनीय है कि श्री जैन स्वयं कोरोना संक्रमित हो गए थे और प्लाज्मा थेरेपी के बाद ठीक हुए।

श्री जैन ने गौशालाओं का बकाया पैसा नहीं देने के निगमों के आरोप पर कहा दिल्ली सरकार ने पूरा बकाया दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगमों में सारा काम तो भ्रष्टाचार से चलता है। निगम बस पैसा बनाने की मशीनरी बन गए हैं। निगमों को बस एक ही बात कहना आता है कि पैसा नहीं है।