नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे सोमवार को देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति बोबडे को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे।
तिड़सठ वर्षीय न्यायमूर्ति बोबडे निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का स्थान लेंगे, जो आज सेवानिवृत्त हो गये।
न्यायमूर्ति बोबडे 17 महीने तक उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।
वह महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं। उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे।
चौबीस अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मे न्यायमूर्ति बोबडे ने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। वह 29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए।
वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनाये गये, करीब छह माह के भीतर ही उन्हें 12 अप्रैल 2013 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
न्यायमूर्ति बोबडे ने कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई है। हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने वाली संविधान पीठ के भी वह सदस्य रहे हैं।
वह निजता के मौलिक अधिकार को लेकर अगस्त 2017 में फैसला देने वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य भी रहे हैं। उस पीठ की अध्यक्षता तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने की थी।