लखनऊ, यूपी में महागठबंधन की नींव पड़ गयी है। इसी के साथ सपा-बसपा-कांग्रेस और अन्य दलों के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस समझौते की रूपरेखा के संकेत अपने हालिया बयान मे पहले ही दे दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, यूपी में महागठबंधन की चुनावी रणनीति में 2019 के लोकसभा चुनाव में 80 सीटों मे सबसे बड़ा हिस्सा बहुजन समाज पार्टी के पास हो सकता है। यूपी मे बहुजन समाज पार्टी 40 सीटों पर और समाजवादी पार्टी 35 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। तीन सीटें राष्ट्रीय लोक दल को और दो सीटें कांग्रेस को दी जा सकतीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बने महागठबंधन में कांग्रेस को पूरी तरह शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन राहुल गांधी और सोनिया गांधी की सीटें अमेठी और रायबरेली पर महागठबंधन अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगा और ये दो सीटें कांग्रेस को छोड़ दी जायेंगी। लेकिन कांग्रेस शेष 78 सीटों पर महागठबंधन से फ्रेंडली फाईट करेगी।
सूत्रों के अनुसार, इसके पीछे तर्क ये है कि कांग्रेस के साथ यूपी मे अब न दलित , न पिछड़े और न ही अल्पसंख्यक हैं। कांग्रेस मे अब मात्र कुछ सवर्ण वोट ही बचा है। इन सवर्ण वोटरों की दूसरी प्राथमिकता भाजपा है। ये वोट कांग्रेस के न लड़ने पर सपा या बसपा मे न जाकर भाजपा मे जायेंगे। यदि कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल कर लिया गया तो ये सवर्ण भी भाजपा में चले जाएंगे। इसीलिए सपा-बसपा को लगता है कि कांग्रेस के अलग लड़ने से ही उन्हें ज्यादा फायदा है।