लखनऊ, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नेतृत्व स्वीकार समाजवादी पार्टी में वापसी के संकेत दिए हैं।
शिवपाल यादव ने 29 मई को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की अर्जी वापस लेने पर न सिर्फ अखिलेश यादव का धन्यवाद किया बल्कि उनके नेतृत्व पर भी आस्था जताई है। हालांकि, ये पत्र 29 मई को लिखा गया था जो कि वायरल अब हो रहा है। जिसमे स्पष्ट है कि अब शिवपाल यादव ने भतीजे के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के पहले यादव परिवार में झगड़ा हुआ था जिस पर शिवपाल यादव ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अलग पार्टी बनाने का एलान किया था। बोलचाल न होने के बावजूद शिवपाल सिंह 2017 विधानसभा का चुनाव सपा के टिकट पर ही जसवंतनगर से लडे़ और निर्वाचित हुए थे। इसके बाद अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था। फिर अखिलेश यादव से खटपट इतनी बढ़ी कि उन्होने पहले समाजवादी सेक्युलर मोर्चा और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाकर अखिलेश यादव को जवाब दिया ।
शिवपाल सिंह के अलग पार्टी बनाने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी। लेकिन फिर सपा ने 23 मार्च 2020 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर शिवपाल यादव के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की याचिका वापस लेने की मांग की थी, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने उसे स्वीकार करते हुए याचिका को वापस कर दिया। इसके बाद शिवपाल की विधानसभा सदस्यता खत्म होने से बच गई है।
सपा द्वारा याचिका वापस लेने के बाद से ही अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दूरियां कम होने की शुरूआत हो गई थी। हाल ही में कई टीवी इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने जसवंतनगर सीट से सपा के चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चाचा शिवपाल सिंह के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया। यही वजह है कि अब शिवपाल यादव ने भतीजे के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है।