नयी दिल्ली, देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन लागू है। ऐसे में आम लोगों, खासकर शहर में रहने
वालों के कामों को इंटरनेट ने काफी हद तक आसान बना दिया है।
इंटरनेट की मदद से लोग घर से ही काम कर पा रहे हैं। बीमार लोग अपने डॉक्टर से परामर्श ले पा रहे हैं।
इसके अलावा लोग इंटरनेट की मदद से वीडियो कॉल करके अपने खास और परिचित लोगों की न केवल खैर खबर ले पा रहे हैं बल्कि उन्हें
देख भी पा रहे हैं। साथ में दफ्तर की बैठकें भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रहे हैं।
हालांकि लॉकडाउन के बाद इंटरनेट की स्पीड कम हुई है और डेटा की खपत बढ़ी है।
इसे देखते हुए नेटफ्लिक्स और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म ने वीडियो की क्वालिटी (गुणवत्ता) को थोड़ा कम किया है।
देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली संख्या 48 करोड़ से ज्यादा है और जानलेवा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने जब
लोगों से घर में ही रहने को कहा तो इंटरनेट उनके लिए मसीहा बनकर सामने आया।
एक ही शहर में रहने के बावजूद लोग एक दूसरे से नहीं मिल पा रहे हैं तो इंटरनेट उन्हें करीब लाया है।
अगर इंटरनेट नहीं होता तो कई कंपनियों का कामकाज चरमरा जाता लेकिन वीडियो कॉल ने ऐसा होने नहीं दिया।
बीते कुछ हफ्तों के दौरान लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ वीडियो चैट के स्क्रीन शॉट साझा किए हैं।
इससे यह बात साबित होती है कि जब कोरोना वायरस को शिकस्त देने लिए सामाजिक दूरी का नियम अपनाया जा रहा है तब इंटरनेट लोगों
को आपस में जोड़ रहा है।
व्हाट्सएप, फेसटाइम, फेसबुक मेसेंजर जैसी ऐप के अलावा जूम जैसी नई ऐप भी लोगों का अपनी ओर ध्यान खींच रही हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई अस्पताल ऑनलाइन परामर्श दे रहे हैं।
गुड़गांव के पारस अस्पताल ने अपनी ऐप पर 22 मार्च से वीडियो सत्र के जरिए यह सुविधा शुरू कर दी है।
अस्पताल के सुविधा निदेशक डॉ समीर कुलकर्णी ने बताया, “लोगों से मेलजोल से दूर रहने के लिए कहे जाने के बाद से हमने ऑनलाइन
परामर्श सेवा शुरू कर दी थी। डॉक्टर और मरीज के बीच वीडियो सत्र होते हैं। हम दवा का ई-पर्चा देते हैं और परामर्श शुरू होने से पहले
फीस का भुगतान करना होता है।”
इसके अलावा लोग एक दूसरे के साथ ऑनलाइन गेम्स, खासकर लूडो भी खेल रहे हैं, जिसमें भाग लेने वाले लोग देश के किसी भी हिस्से के हो
सकते हैं।
‘सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (सीओएआई) के महानिदेशक रंजन मैथ्यू ने बताया कि इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ने से देश में
डेटा की खपत में कम से कम 20-30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इसे देखते हुए, नेटफ्लिस और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म ने वीडियो क्वालिटी (गुणवत्ता) को कम किया है।
इस बाबत सीओएआई ने सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि नेटवर्क पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के लिए उपाय किए जाएं।
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