![](https://news85.in/wp-content/uploads/2020/04/ramjan-1024x630.jpg)
देवबंद , इस्लामिक केंद्र देवबंद में 52 कोरोना वायरस संक्रमित मामले होने के चलते पूरा नगर सील है और पुलिस की बेहद सख्ती है, शायद यही वजह है कि रमजान का पवित्र महीना शुरू होने से पहले देवबंद के कभी इस दौरान गुलजार रहने वाले बाजारों में सन्नाटा पसरा है।
एक साथ 20 हजार नमाजियो द्वारा नमाज अदा किए जाने की क्षमता रखने वाली एशिया की सबसे बडी रशीदिया मस्जिद समेत नगर की सभी 125 मस्जिदें सूनी पडी हुई है। नगर के बुजुर्ग 86 वर्षीय मौलाना अब्दुल्ला जावेद के मुताबिक युद्ध के दौरान भी इतने खराब हालात मुसलमानों के सामने पैदा नहीं हुए थे।
उन्होने कहा कि रमजान की तैयारियां एक हफ्ते पहले शुरू हो जाती थी और देवबंद के बाजार सहरी और इफ्तारी के सामानों से सजे रहते थे। दारूल उलूम का वार्षिक बजट 39 करोड रूपए है। एक सवा माह लाॅक डाउन को दारूल उलूम में दान और चंदे की रकम की वसूली करने वाले करीब 300 शफीर भी यात्रा पर नहीं निकल पाए और डाक से प्रतिदिन आने वाले चेक मिलने भी बंद है। इससे संस्था के सामने आने वाले दिन आर्थिक तंगी के हो सकते है। आज गुरूवार को संस्था में सभी कर्मचारियों को वेतन बांट दिए जाने से उन्हें राहत मिली है।
कोरोना वायरस संक्रमण और उसके कारण एक माह से जारी लाॅक डाउन के कारण दारूल उलूम रजिस्ट्र और वक्फ की परीक्षाएं नहीं हुई और दोनो संस्थाओं के करीब ढाई हजार छात्र छात्रावासों में ही पहली बार रूकने को मजबूर हुए है।अशरफ उस्मानी ने बताया कि पहली बार छात्रावासों में रूके छात्रों के लिए सुबह की सहरी में और शाम की इफ्तारी का पूरा प्रबंध संस्था करेगी।
दारूल उलूम वक्फ के विदेशी विभाग के प्रभारी मौलाना अब्दुल्ला जावेद कहते है कि रमजान से करीब 15 दिन पहले दारूल उलूम की परीक्षाएं निपटने के बाद डेढ माह की छुट्टी हो जाती थी और छात्र और बाहर के उस्ताद अपने घरों पर रमजान माह व्यतीत करते थे।
उलूम के तंजीमो तरक्की विभाग के प्रभारी अशरफ उस्मानी ने आज बताया कि वाराणसी के रहने वाले संस्था के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी और नायब मोहतमिम अब्दुल खालिक मद्रासी भी अपने घरो को नहीं जा पाए। बनारसी हमेशा रमजान माह और ईद के मौके पर अपने गृह शहर वाराणसी में रहते थे।
देवबंद कोरोना संक्रमण के कारण पूरी तरह सील है। अकेले देवबंद कस्बे के 50 से ज्यादा लोग संक्रमित निकले है और कई सौ लोग क्वारंटाइन में है। जांच-पडताल का सिलसिला जारी है। पुलिस-प्रशासन की सख्ती के कारण फल, सब्जी, अनाज और अन्य जरूरी सामानों की भारी किल्लत का सामना लोगों को करना पड रहा है। एक लाख की आबादी वाले देवबंद और तीन लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र में 65 फीसद मुस्लिम आबादी है। उस सब के लिए आसानी से जरूरी सामान मुहैया कराना शासन-प्रशासन की सुस्त व्यवस्था के चलते बेहद मुश्किल है।