लखनऊ, बीजेपी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग की बदौलत 2014 मे लोकसभा चुनाव और 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव मे जबर्दस्त सफलता प्राप्त की है। लेकिन अब परिस्थितियां भिन्न है और इसबार बड़ी चुनौती है।
सपा-बसपा गठबंधन ने यूपी के साथ-साथ बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं की भी नींद उड़ा दी है। सोशल इंजीनियरिंग के महारथी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी यूपी लोकसभा उपचुनाव मे हार का कारण सपा-बसपा गठबंधन को बताया। यदि समय रहते बीजेपी ने कोई उपाय नही किया तो 2019 के लोकसभा चुनाव मे बड़ा नुकसान हो सकता है।
यूपी विधान सभा चुनाव मे जबर्दस्त सफलता प्राप्त करने के बाद अमित शाह ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के तहत बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता सोनू यादव के घर भोजन करके बड़ा संदेश दिया था। जिससे प्रदेश के दलित और पिछड़े समाज मे सोनू यादव की छवि बीजेपी के एक समर्पित युवा के रूप मे उभरी। आज सोनू यादव यूपी मे किसी भी जिले मे पहचान के मोहताज नही हैं।
सोनू यादव बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़े हैं। वह आरएसएस में बस्ती प्रमुख पद पर कार्य कर चुके। उनके पिता भी बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहें हैं। 2005 में भाजपा के सक्रिय सदस्य बने सोनू यादव को 2008 में मण्डल महामंत्री युवा मोर्चा पद पर कार्य करने का मौका मिला। सोनू यादव ने 2011 तक मण्डल अध्यक्ष युवा मोर्चा पद पर कार्य किया। सोनू यादव को 2014 में सहसंयोजक चुनाव प्रबन्ध प्रकोष्ठ लखनऊ महानगरऔर बूथ अध्यक्ष पद का दायित्व दिया गया, जिस पर उन्होने अद्भुत कार्य किया।
सोनू यादव को विपरीत परिस्थितियों और भिन्न समुदायों मे भी बीजेपी का संदेश दृढ़ता के साथ रखने की अद् भुत क्षमता है। एेसे समय मे बीजेपी सोनू यादव का कद बढ़ाकर उन्हे पूरे प्रदेश मे पिछड़े और दलित समुदायों मे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के तहत लाभित फर्श से अर्श पर पहुंचे नेता के रूप मे पेश कर सकती हैं। जो अपनी कार्यशैली और वाक्पटुता से पिछड़े वर्ग और दलितों मे बीजेपी के पक्ष मे आसानी से माहौल बना सपा-बसपा गठजोड़ को जवाब देने मे पूरी तरह सक्षम हैं। अब यह नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह बीजेपी के एेसे समर्पित कार्यकर्ताओं का कितना अच्छा उपयोग कर पातें हैं।