लखनऊ, उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि बाढ़ पूर्व की गई तैयारियों के चलते राज्य में कोई भी तटबन्ध क्षतिग्रस्त नहीं हुआ, जिसके कारण अत्यधिक वर्षा होने के बावजूद भी बाढ़ से तबाही नहीं हुई। उन्हाेंने कहा कि बाढ़ नियंत्रण अभियान को अभी एक महीने तक चलाया जाए।
डॉ सिंह ने सोमवार देर रात अपने सरकारी आवास से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ से प्रभावित 14 जिलों के अधिकारियों के साथ समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बाढ़ प्रभावित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बाढ़ से निपटने के लिए किए गए उपायों की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के संकटकाल में भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अपने जान की परवाह किए बगैर बाढ़ के खतरे को समाप्त करने में पूरी जिम्मेदारी का परिचय दिया।
उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब भी लगातार चौकसी बरतते रहें, ताकि बाढ़ के संकट को टाला जा सके। उन्होेंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बचाव कार्यों का मौके पर अवलोकन तथा लगातार समीक्षा के कारण उत्तर प्रदेश में नुकसान नहीं हुआ जबकि अन्य राज्यों में बाढ़ से व्यापक तबाही हुई।
डॉ सिंह ने कहा कि अस्वस्थ होने से पूर्व उन्होंने भी सभी संवेदनशील का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उनके विभाग की बाढ़ से निपटने की तैयारी की स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी तारीफ की। जलशक्ति मंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग में पारदर्शी कार्य संस्कृति को और सुदृढ़ करने के लिए यह आवश्यक है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों, नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाओं और अनुभवों को संकलित कर एक विशेष जन-जागरण अभियान चलाया जाए, जिससे आम जनता को योगी सरकार द्वारा किए गए बाढ़ व बचाव कार्यों की ठोस जानकारी मिल सके और आम जनता के सुझावों को अगली बाढ़ संबंधी परियोजनाओं के निर्माण में उपयोग किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सितम्बर एवं अक्टूबर में मानसून की वापसी की संभावना बतायी जा रही है। इस अवधि में तटबन्धों पर विशेष निगरानी बरती जाए। उन्होंने तटबन्धों पर पूर्व की तरह ही आधिकारियों एवं कर्मियों को 24 घण्टें कैम्प करने एवं संवेदनशील स्थलों पर आवश्यक उपकरण एवं मैनपावर बनाये रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कटाव की कोई सूचना प्राप्त होने पर मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर कराया जाय। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। क्षेत्र के अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में रहें तथा स्थानीय जिला प्रशासन का सहायोग प्राप्त करके बाढ़ सुरक्षा कार्यों को अंजाम दें।