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भ्रष्टाचार के आरोप मे एसएसपी अभिषेक दीक्षित निलंबित, प्रयागराज को मिला नया कप्तान

प्रयागराज, भ्रष्टाचार के आरोप मे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रयागराज अभिषेक दीक्षित को निलंबित कर दिया गया है। 2006 बैच के आइपीएस सर्वश्रेष्‍ठ त्रिपाठी जिले के नए कप्‍तान बनाए गए हैं। वह अभी तक पुलिस उपायुक्‍त लखनऊ के पद पर तैनात रहे।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित पर वैसे तो कई गंभीर आरोप हैं। उनपर तीन माह में भारी संख्या में तबादले का आरोप है। अभिषेक दीक्षित ने जिले की कमान संभालने के कुछ ही दिन बाद पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण करने शुरू किये। शुरुआती दौर में दो-चार ही तबादले हुए, लेकिन इसके बाद इसमें ऐसी तेजी आई कि यह लगातार बरकरार रही। 25 थानेदार एक ही दिन में बदल दिए गए। दर्जनों चौकी प्रभारी इधर से उधर हो गए। अधिकांश तो लाइन हाजिर हुए। इतना ही नहीं सिपाहियों पर भी गाज गिरी और बड़ी संख्या में सिपाही लाइन हाजिर किए गए।

ये तो लिखा पढ़ी में तबादले हुये, काफी संख्या में ऐसे भी पुलिसकर्मी थे, जिनपर सीधे कार्रवाई की गई। एसएसपी आफिस से फोन कर इनको लाइन हाजिर किया गया। इन्हें बाद में तैनाती भी दी जाती रही।

मामला तब फंसा जब घूरपुर में सब्जी दुकानदारों की दुकानों को पुलिस की गाड़ी से रौंदने वाले दारोगा को एसएसपी ने अरैल चौकी का प्रभारी बनाया। आइजी रेंज केपी सिंह ने साफ कहा कि ऐसे दारोगा को चौकी कैसे दे दी गई, जिस पर इतने गंभीर आरोप थे। तत्काल इसे हटाकर जिले से बाहर भेजा जाए।

वहीं, बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद के केस से जुड़ी कई अहम फाइलें धूमनगंज थाने से गायब हो गई हैं। माफिया अतीक अहमद से जुड़ी 18 वर्ष पुरानी केस डायरी गायब होने की लापरवाही करने वाली प्रयागराज पुलिस के बचाव में भी एसएसपी अभिषेक दीक्षित उतरे। एसएसपी ने पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि केस डायरी गायब होने के मामले में प्रथम दृष्टया पुलिसकर्मियों की कोई लापरवाही नजर नहीं आ रही है, कई बार फाइलें पुरानी हो जाने से भी उन्हेंं ढूंढ पाना बेहद कठिन हो जाता है।

सरकार के सख्त होने पर एसएसपी ने अतीक अहमद के केस में 2002 में दर्ज मुकदमे के दौरान सीओ सिविल लाइन और थानाध्यक्ष रहे पुराने लोगों ने जानकारी जुटाने का प्रयास किया।

अपराध नियंत्रण काे लेकर भी एसएसपी ने कोई खास प्रयास नहीं किये।  मौके पर जाने के बजाय सिर्फ गुडवर्क को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करते थे। प्रयागराज में कोरोना महामारी के संबंध में भी शासन व मुख्‍यालय की ओर से दिए गए शारीरिक दूरी के निर्देश का सही ढंग से पालन नहीं कराया गया। इस मामले में उच्‍च न्‍यायालय ने भी नाराजगी जताई थी।