लखनऊ, उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के पेंच में उलझे 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में सरकार का पक्ष रखते हुये बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया उच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्थगित है और मामले की जांच पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंपी गयी है लेकिन कुछ लोग शिक्षक भर्ती को रोकने के लिये राजनीति कर रहे हैं।
मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रही है लेकिन कुछ लोगों का खानदानी पेशा ही भ्रष्टाचार और घोटालों का रहा है, ये लोग यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी मिले और यही लोग पूरी भर्ती प्रक्रिया को बाधित करने का काम कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि सरकार न्यायालय के निर्णय के अनुसार आगे कार्य करेगी। सरकार की मंशा है कि इस पारदर्शी भर्ती से प्रदेश को 69000 शिक्षक मिलें। उन्होंने कहा कि मई में शिक्षक भर्ती में लेन-देन की शिकायत की गई थी जिसके बाद 11 लोगों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इन सभी की गिरफ्तारी के बाद प्रयागराज के एक परीक्षा केंद्र पर धांधली का खुलासा हुआ जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया है।
श्री द्विवेदी ने बताया कि परीक्षा में धांधली के बाद 69 हजार शिक्षक भर्ती की एसटीएफ को जांच सौंपी गई। यदि ऐसे लोगों पर सत्यता निकलकर आती है कि कुछ लोगों ने ऐसी भर्ती परीक्षा पास की है तो उन्हें भी बाहर किया जाएगा एवं अन्य जो संबंधित लोग होंगे उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी के ओबीसी वर्ग में चयन होने पर सवाल उठा है, लेकिन अभी संबंधित अभ्यर्थी की कॉउंसिलिंग नहीं हुई थी। दस्तावेजों की जांच के लिए कॉउंसलिंग कराई जाती है। 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया पर भी कई सवाल उठे हैं। 50 प्रतिशत से ज्यादा अनारक्षित वर्ग में सभी वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही अभ्यर्थियों के जिले का चयन हुआ है।
69000 शिक्षक भर्ती में 37000 सीटें रोकने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर श्री द्विवेदी ने कहा कि विभाग का पक्ष न्यायालय में नहीं सुना गया है। सरकार आदेश के मोडिफिकेशन के लिये अपील करेगी।
अनामिका शुक्ला मामले पर उन्होने कहा कि प्रेरणा डिजिटल के माध्यम से मानव संपदा पोर्टल के आधार पर सभी शिक्षकों का पूरा डाटा तैयार कर रहे हैं सभी विद्यालयों में लागू किया है। उसमें एक सिस्टम है कि अगर सिम डिटेल किसी और विद्यालय में फिट किया जाएगा तो हमारा डाटा उसमें चेक कर सामने आ जाएगा जिससे अन्य जिलो में भी मामला खुल गया। उसी फ्रेमवर्क के तहत यह अनामिका शुक्ल का मामला पकड़ में आया है। सहारनपुर के बड़ौत एक अनामिका शुक्ला के नाम से नियुक्ति हुई है। प्रदेश के छह विद्यालयों एक ही नाम से नियुक्ति हुई है। एक ही नाम के शिक्षिका को 12 लाख 24 हजार 700 रुपये का भुगतान हुआ है। पुलिस ने एक शिक्षिका को हिरासत में लिया है।
उन्होने कहा कि योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। ऐसे किसी भी मामले को आज तक दबाने का प्रयास नहीं किया गया। ऐसे सभी मामलों को सामने लाया जाएगा। फर्जी शिक्षकों की भर्ती की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। एसआईटी और एसटीएफ को सभी प्रकार के ऐसे मामलों की जांच सौंपी गई थी। अब तक 1701 फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त की गई है, ये पिछली सरकारों के दौरान भर्ती हुए थे।