साहित्यिक प्रतिवेदन सत्यम साहित्य संस्थान के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में काफी संख्या मे सदस्यों ने प्रतिभाग किया।
प्रथम कवि के रूप में योगेश शुक्ल योगी ने बजरंग बली पर अपने छन्द सुनाया। उनका एक मुक्तक देखे – पीर जीवन में जिसे वो सोगी हुआ, प्रेम में जो लुटा वो वियोगी हुआ। काव्य की साधना में मगन मन मेरा, कर रहा साधना तो मै योगी हुआ।। संस्था की गोष्ठी में प्रथम बार भाग लेने वाली अति नवोदित रचनाकार प्रिया सिंह ने अपनी गजल से सभी श्रोताओं को प्रभावित करने में सफल रहीं। उनकी गजल का मतला देखिये- हार कर गर्दिश से चश्म ए तर न होता आदमी। तो समंदर में खरा गौहर न होता आदमी।। मनमोहन सिंह बाराकोटी ने अपने अंदाज में व्यंग्य के मुक्तक छन्द पढ़ कर खूब तालियां अर्जित की। दऐश के शत्रुओं का दमन कीजिये, बिगड़ा माहौल है अब अमन कीजिये। देश की आन पर मर गए जो यहाँ, उन शहीदों का शत शत नमन कीजिये।।
अब बाल कवयित्री अनीता सिंहा जी ने अपने बाल मन की दो कविताएँ पढ़ कर पूरी सभा को अतीत के बचपन का बोध कराने में सफल रहीं। “हम भारत के वीर सिपाही, नन्हें हैं सेनानी माँ का सी न झुकने देंगे, हमने मन में ठानी। ” सुकवि अमर कुमार श्रीवास्तव ने आज गीत के स्थान पर अपने शृंगार के मुक्तक छन्द पढ़ कर खूब वाहवाही लूटी। आदरणीय डाॅ गोपाल नारायण जी को अन्य किसी काम से शीघ्र निकालना था। इस लिए उनके काव्यपाठ में एक साधा हुआ साहित्यिक गीत ने हम सभी को नई दिशा दे गया। तो गीतकार, ग़ज़लकार भाई आलोक रावत आहत लखनवी जी ने अपना सुमधुर और राष्ट्र प्रेम से सिक्त गीत पढ़ कर सबको रसानानंद में सराबोर कर दिया। ‘ रंग मेरा केसरिया पावन खून मेरा बलिदानी मातृ भूमि हित शेख कटाते सच्चे हिंदुस्तानी।।” कवयित्री रेनू वर्मा जी व हास्य व्यंग्य के कवि आशुतोष आशु ने अपने अपने मनोहारी काव्यपाठ से खूब प्रसंशा व वाहवाही प्राप्त किया। लखनऊ के दूरस्थ क्षेत्र साउथ सिटी से पधारे आदरणीय रमेश चंद्र श्रीवास्तव ‘रचश्री’ जी ने अपनी एक छोटी बाहर की गजल पढ़ी… “मैं ने गजब का हौसला रखा था रचश्री तूफान जो उठ्ठा था न आया मेरी तरफ।” कवयित्री इंद्रासन सिंह इंदू जी ने अपना देश प्रेम का गीत सुना कर सभी साहित्यकारो को प्रभावित किया। और सुभाष चंद्र रसिया जी ने दोहा छन्द व एक भोजपुरी गीत प्रस्तुत किया। इनका दोहा मायावी मानव बने, आँसू छलके झूठ। शीतलता जिसमें नहीं, पेड़ बने हैं ठूठ।।
अब संचालन की आवाज में हास्य के स्वर ने लक्ष्य संस्था के संस्थापक श्री प्रवीण कुमार शुक्ल गोबर गणेश को काव्यपाठ करने हेतु आमंत्रित किया। आजादी हम यूँ मना रहे कैटरीना सलमान को हीरो बता रहे। अगले कवि के रूप में भाई महेश चंद्र गुप्त महेश जी ने एक मुक्तक छन्द व एक ग़ज़ल प्रस्तुत किया यह जमी इसकी अबो हवा को नमन आन पर कितने ही हो गए हैं हवन देश ने क्या दिया बात इसकी नहीं देश को क्या दिया ये करें आंकलन।। कवियत्री अलका अस्थाना ने राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत और जोश सर भरपूर गीत प्रस्तुत करके पूरी सभा में देश प्रेम की भावना भर दी… “जय भारत जय गान करे। भारत नव निर्माण करे।। वंदे मातरम् … वंदे मातरम् ” जो लोग सभागार में उपस्थिति नहीं हो सके उन्हें duo app से जोड़कर काव्यपाठ में सम्मिलित किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से हैं- श्री रामदेव लाल ‘विभोर’ संरक्षक, डाॅ. कैलाश नाथ निगम, प्रबंधक, श्री एस. पी. लाल जी नेटवर्क मंद होने के कारण नहीं जुड़ सके। जबकि रायबरेली से विवेक कुमार, सीलीगुडि से पूरन सिंह रावत व लखनऊ से अनिल कुमार वर्मा जी एव्ं वीरेंद्र राय ‘नया’ जी ने जुड़ कर अपना सराहनीय काव्यपाठ किया।
संचालक महोदय ने प्रारम्भ में वंदना कर चुकी श्रीमती निशा सिंह ‘नवल’, को काव्यपाठ के लिए आमंत्रित किया। आपने अपनी सुरीली आवाज में गीत सुना कर सबका दिल जीत लिया। तो संचालक महोदय को आदरणीय मधुकर अष्ठाना जी ने एक मुक्तक छन्द के माध्यम से काव्य पाठ करने हेतु आमन्त्रित किया। केवल प्रसाद सत्यम ने अपना एक गीत प्रस्तुति किया जिसे खूब सराहा गया। ” सत्य प्रेम आदर्श ढूँढना है कितना मुश्किल” आदरणीय डाॅ सुभाष चंद्र सुभाष गुरुदेव गुरुदेव संस्था के महामंत्री जी ने सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए सभी देश के जिम्मेदार नागरिकों को नये वर्ष और गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए। अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी।
अंत मे आदरणीय साहित्य भूषण मधुकर अष्ठाना जी ने अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में इस काव्य समारोह को सफलतम बताते हुए संस्था द्वारा हिंदी साहित्यिक प्रचार प्रसार व नवोदित रचनाकारों के मार्गदर्शन में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और अपने काव्यपाठ में नवगीत की संक्षिप्त जानकारी देते हुए गीत भी प्रस्तुति किया। एक पुस्तक का स्टाल भी लगाया गया। जिसमें पुस्तकें- “परों को खोलते हुए-1”, “छन्द माला के काव्य-सौष्ठव”, ‘सतह के स्वाद” और “नए वर्ष की बर्फ” पठन पाठन व बिक्री हेतु रखी गई। माँ वीणा पाणि की वंदना कवयित्री निशा सिंह नवल के मधुर स्वर में हुआ। तत्पश्चात अतिथियों का माल्यापर्ण करके उन्हे संस्था का स्मृति चिह्न भी भेंट किया गया। संचालन का दायित्व दोहाकार केवल प्रसाद सत्यम ने निर्वाह किया।धन्यवाद ज्ञापन श्री मनमोहन बाराकोटी जी ने ज्ञापित किया।