नयी दिल्ली, कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे सुदर्शन टीवी ने उच्चतम न्यायालय में आवेदन देकर उस याचिका पर सुनवाई का सजीव प्रसारण कराने का अनुरोध किया है जिसमें उसके कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ के खिलाफ शिकायत की गई है।
इस कार्यक्रम के सामने आए प्रोमो में दावा किया गया है कि ‘वह सरकारी सेवा में मुस्लिमों की घुसपैठ की साजिश का बड़ा खुलासा करेगा।
उल्लेखनीय है कि 15 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक चैनल द्वारा ‘बिंदास बोल’ के एपिसोड का प्रसारण करने पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा कि प्रथमदृष्टया लगता है कि कार्यक्रम के प्रसारण का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को ‘बदनाम’ करना है।
सुदर्शन न्यूज चैनल द्वारा निदेशक एवं संपादक सुरेश चव्हाणके के जरिये दाखिल आवेदन में कहा ‘‘यह सम्मानपूर्वक बताया गया कि वर्तमान मामला जनता के विषय में सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक है, क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा संरक्षित प्रेस की स्वतंत्रता का प्रश्न इसमें शामिल है।’’
आवेदन में कहा गया कि चैनल के करोड़ों दर्शक कानूनी प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते हैं और पक्षकारों द्वारा दिए गए तर्कों और बहस के बिंदुओं को सुनना चाहते हैं।
चैनल ने कहा, ‘‘ अत: आधिकारिक एजेंसी द्वारा जिसे अदालत इसके लिए उपयुक्त मानती है,सुनवाई का सजीव प्रसारण ऑडियो-वीडियो माध्यम से कराने का निर्देश दे।’’
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ मामले पर दोपहर में सुनवाई करेगी।
हलफनामा के जरिये दाखिल जवाब में अदालत ने अपने कथित कार्यक्रम ‘‘ प्रशासनिक सेवा में मुस्लिमों की घुसपैठ’’ बचाव किया है। चैनल ने कहा कि यह उनके प्रवेश के खिलाफ नहीं है बल्कि विभिन्न आतंकवाद से संबंध संगठनों से चंदा लेने वाले ‘जकात फाउंडेशन’ से प्राप्त सूचना के आधार पर उसने ‘यूपीएससी जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया है।’’