न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने जेल अधीक्षक के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए आदेश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘अवमानना याचिका विचारार्थ स्वीकार की जाती है। कथित अवमानना कर्ता (जेल अधीक्षक) को 23 सितंबर, सोमवार को इस अदालत में पेश होने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए।’’
पीठ एक व्यक्ति की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने पहले शीर्ष अदालत में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एक आपराधिक मामले के आरोपी को जमानत दी गयी थी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि आरोपी यदि अब भी हिरासत में है तो उसे अगले आदेशों तक जेल से रिहा नहीं किया जाए।
बाद में शीर्ष अदालत ने 3 दिसंबर, 2018 को आरोपी को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका में कहा कि पिछले साल दिसंबर में आदेश के बाद जेल अधीक्षक ने निचली अदालत से आरोपी के लिए जेल में हिरासत के लिए नये वारंट की मांग की।
अवमानना याचिका के अनुसार हिरासत वारंट का इंतजार किये बिना जेल अधीक्षक ने आरोपी को रिहा कर दिया।