लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर दर्ज मुकदमों को सुप्रीम कोर्ट मे मिली चुनौती ?
April 16, 2020
नयी दिल्ली, कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी के प्रसार पर विराम के लिए जारी लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किये जाने को उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को चुनौती दी गयी।
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने याचिका दाखिल करके धारा 188 के तहत दर्ज सारी प्राथमिकी निरस्त करने का आदेश जारी करने की गुहार लगायी। याचिकाकर्ता का कहना है कि कानूनी प्रावधान और शीर्ष अदालत एवं उच्च न्यायालयों के कई आदेशों के अनुसार आईपीसी की धारा 188 के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।
श्री सिंह की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 188 यानी सरकारी आदेश के उल्लंघन के मामले में अधिकतम एक महीने की कैद या फिर 200 रुपये जुर्माना है या फिर दोनों है। अगर सरकारी आदेश के उल्लंघन के कारण किसी की जान खतरे में पड़ती है तो छह महीने तक जेल की सजा हो सकती है या फिर एक हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है या फिर दोनों हो सकता है।
कानूनी प्राविधानों के अनुसार लोक सेवक या सरकारी अधिकारी को अदालत के सम्मुख लॉकडाउन के उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी होगी, लेकिन किसी भी स्थिति में पुलिस द्वारा धारा 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।
याचिकाकर्ता सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी ऐंड सिस्टेमिटक चेंज (सीएएससी) नामक गैर-सरकारी संगठन के अध्यक्ष भी हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विराग गुप्ता ने याचिका दायर की है। याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कोरोना संकट एक मानवीय त्रासदी है और लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दायर होना उनके साथ और ज्यादा अन्याय है।