नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में आज एक बेहद ही अहम मामले पर सुनवाई हुई जिसका असर लाखों लोगों पर पड़ने वाला है। मामला मोरेटोरियम पीरियड( Moretorium period) में ईएमआई EMI पर लगने वाले ब्याज से जुड़ा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सप्ताहांत में वित्त मंत्रालय और आरबीआई अधिकारियों की एक बैठक बुलाने के लिए कहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि बैंकों की ओर से ईएमआई पर लगने वाला ब्याज लिया जा सकता है या नहीं।
कोरोना वायरस के कारण हुये लाकडाऊन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार बैंकों ने अपने ग्राहकों को तीन महीने के लिए अपनी ईएमआई आगे बढ़ाने की सुविधा दी थी लेकिन इसमें लगने वाले ब्याज पर नहीं। इसके बाद यह सुविधा तीन महीने और आगे बढ़ा दी गई थी। लेकिन इस अवधि में लगने वाले ब्याज पर मोहलत नहीं मिली थी और इसी को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई थी।
जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक को तीन दिन की मोहलत दी है। कोर्ट ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता को वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के अधिकारियों की बैठक करवाने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि तय करे कि मोरेटोरियम पीरियड में ईएमआई पर लगने वाले ब्याज पर मोहलत दी जा सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया कि वो ब्याज माफ करने की नहीं बल्कि टालने की बात कर रहा है। इसका मतलब ये है कि अगर रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय इस बाबत फैसला ले लेते हैं तो इन 6 महीनों के लिए अपनी ईएमआई आगे बढ़ाने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। मामले में अगली सुनवाई 17 जून हो होने वाली है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोन चुकाने के लिए दी गई मोहलत में EMI पर ब्याज नहीं लेना चाहिए। यदि लोन को 3 महीने के लिए टाला जाता है तो बैंक को भी देय राशि पर ब्याज और ब्याज पर भी ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए। कोर्ट ने साफ किया कि यह सवाल ब्याज पर ब्याज तक ही सीमित है। यह बात नहीं कि ब्याज 6 महीने की ईएमआई स्थगन अवधि के लिए पूरी तरह माफ किया गया है या नहीं।