नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की विकसित प्रणाली का बचाव किया है और कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की तुलना में भारत में वर्चुअल सुनवाई प्रणाली ज्यादा कारगर रही है।
न्यायालय ने कहा कि 25 मार्च से लेकर एक मई के बीच लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यहां शीर्ष अदालत में 116 बेंच बैठी, जिनमें से 43 बेंच ने मुख्य मामलों की सुनवाई की। न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के कठिन दौर में वर्चुअल कोर्ट रूम प्रणाली की महत्ता को स्वीकार किया है।
हाल ही में, भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर लॉकडाउन के बाद वर्चुअल सुनवाई जारी न रखने की सलाह दी थी। श्री मिश्रा ने लिखा था कि यह वर्चुअल प्रणाली खुली अदालत कक्ष में होने वाली सुनवाई और न्यायिक पारदर्शिता को प्रभावित करती है।
न्यायालय ने बीसीआई की आलोचना के जवाब में कहा है कि मामलों का निपटारा करने की प्रक्रिया ‘ओपन कोर्ट’ की मांग नहीं करती है। न्यायालय का कहना है कि खुली अदालत में सुनवाई की प्रणाली ऐसे समय में विकसित हुई थी जब तकनीक उतनी उन्नत नहीं थी। हालांकि, नए युग में जहां तकनीक ने हमारे जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित किया है, यह नहीं कहा जा सकता है कि वर्चुअल कोर्ट रूम किसी भी तरह से खुली अदालत में सुनवाई की प्रक्रिया के विरुद्ध है।