प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
June 6, 2018
नई दिल्ली, सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जब तक इस मुद्दे पर संवैधानिक पीठ में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तबतक केंद्र सरकार को कानून के मुताबिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण जारी रखने की अनुमति दे दी है ।
सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों के बाद, अब पांच जजों की संवैधानिक पीठ को यह तय करना है कि एम नागराज के फैसले पर दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है या नहीं। साल 2006 में नागराज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना मात्रात्मक आंकड़ों के एससी/एसटी को पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
इससे पहले विभिन्न हाईकोर्टों ने नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने का आदेश यह कहते हुये दिया था कि उनके अपर्याप्त प्रतिनिधत्व के बारे में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। वहीं पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला दिया था कि पांच जजों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी।
जिसके बाद कई राज्य सरकारों ने हाईकोर्ट के पदोन्नति में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य सरकारों ने दलील दी है कि जब राष्ट्रपति ने अधिसूचना के जरिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के पिछड़ेपन को निर्धारित किया है, तो इसके बाद पिछड़ेपन को आगे निर्धारित नहीं किया जा सकता।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संघों और राज्य सरकारों ने दलील दी कि क्रीमी लेयर को बाहर रखने का नियमअनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं होता और सरकारी नौकरी में प्रमोशन दिया जाना चाहिए क्योंकि यह संवैधानिक जरूरत है। लेकिन हाईकोर्ट के आदेशों का समर्थन करने वालों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के नागराज फैसले के मुताबिक पदोन्नति में आरक्षण के लिए यह साबित करना होगा कि सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए आंकड़ा मुहैया कराना होगा।