आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनना पड़ सकता है भारी
आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनना पड़ सकता है भारी
आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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आभूषणों में कानों के कुंडल का अलग ही महत्व है। सौन्दर्य के लिए कान में छेद कर कुंडल या बाली पहनी जाती है। आजकल कानों में एक से ज्यादा बालियां पहनने का चलन बढ़ गया है, इसके लिए कान को जगह−जगह से छिदवाया जाता है। इतना ही नहीं, आजकल पलकों …
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