विद्या परिषद की बैठक दिसंबर में है । इससे पहले विश्वविद्यालय विधि के ‘बोर्ड ऑफ स्टडीज’ ने पाठ्यक्रम संशोधन को स्वीकार कर लिया है।
महात्मा ज्योतिबाफुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रमुख अमित सिंह ने बुधवार को बताया कि एलएलबी पाठ्यक्रम में दो महत्वपूर्ण संशोधन हुए है। पहला, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम (तीन तलाक कानून) को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने को मंजूरी मिली। अब एलएलबी तृतीय वर्ष में इसे फैमिली लॉ के अंतर्गत पढ़ाया जाएगा। तीन तलाक कानून काफी संघर्ष के बाद वजूद में आया है।
अब रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने इसे अपने पाठ्यक्रम में भी शामिल करने के लिए उत्तर भारत में सबसे पहले कदम बढ़ाया है।
उन्होंने दूसरे पाठ्यक्रम संशोधन के बारे में बताया कि उत्तर प्रदेश जमींदारी अधिनियम को वर्ष 2016 में सरकार ने निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पिछले तीन वर्षों से कानून के विद्यार्थियों को यही निरस्त विधि पढ़ाई जा रही थी। अब इसके स्थान पर भू-राजस्व संहिता को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। एलएलबी अंतिम वर्ष में इसे पढ़ाया जाएगा। कंपनी लॉ में भी बदलाव किया गया है।
सिंह के अनुसार, एलएलएम के पाठ्यक्रम में भी व्यापक संशोधन हुआ है। अधिकांश नए कानून, अधिनियम, अदालत समीक्षा आदि को इसमें स्थान दिया गया है। तीन तलाक कानून संशोधित पाठ्यक्रम तीन वर्षीय और पांच वर्षीय एलएलबी और एलएलएम के छात्रों को पढ़ाया जायेगा।
पाठ्यक्रम में, तीन तलाक को लेकर अब तक हुए फैसलों को इसमें शामिल किया गया है।
सिंह ने बताया कि तीन तलाक विषय पर एक छात्र पीएचडी के लिए भी पंजीकृत हुआ है।