लखनऊ 13 मई (वार्ता) कोरोना वायरस के कारण पिछले 50 दिनो से लागू लाकडाऊन के कारण साइकिल उद्योग को कम से कम 350 करोड़ रूपये के नुकसान की संभावना है और इसकी मरम्मत से जुड़े 50 हजार श्रमिकों की रोजी रोजगार पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
लाकडाऊन की वजह से दुकानें बंद हैं तो मैकेनिकों को काम नहीं मिल रहा जबकि सामान से लदे ट्रक भी इधर उधर फंसे हैं। यह उद्योग गांव,कस्बे,गली मुहल्लों मे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर माना जाता है। शादी के सीजन और गर्मी मे साइकिल की मांग बढ जाती है। गर्मी की छुट्टी में बच्चों की पहली पसंद साइकिल ही होती है। शहर की कालोनियों मे बच्चे खूब सायकिल चलाते हैं। इसी तरह शादी के सीजन मे भी इनकी खासी मांग हो जाती है।
साइकिल,टायर,टयूब समेत बच्चों की बैटरी वाली साइकिल की मांग अप्रैल से जून तक काफी होती है। प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार पूरे मई के लाकडाऊन मे निकल जाने की आशंका है। ऐसे मे इस कारोबार को 350 करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान अभी तक हो चुका है। साथ ही इससे जुड़े करीब 50 हजार मैकेनिक भी रोजगार खो चुके हैं।
साइकिल की अधिकतर फैक्ट्रियां पंजाब और दिल्ली मे है जहां लाकडाऊन के कारण ताला लगा है। राजधानी लखनऊ मे साइकिलों के डीलरों के अनुसार सरकार के.निर्देश के बावजूद कारोबार गति नहीं पकड़ पा रहा है क्योंकि इसकी अधिकतर दुकानें रेड जोन मे हैं जहां सभी तरह की व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं।
लाकडाऊन के कारण सप्लाई चेन पूरी तरह से टूट चुकी है। पंजाब,दिल्ली से आने वाला सामान रास्ते मे फंसा है। दुकानो मे ताला लगा है, हालांकि गली मुहल्लों मे दुकानों और मरम्मत की दुकान खोलने वालों को छूट दी गई है लेकिन कारोबार को गति तभी मिलेगी जब कारखाने से लेकर इसकी मरम्मत करने वालों तक सप्लाई चेन दुरूस्त होगी।
लखनऊ साइकिल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन अरोड़ा कहते हैं कि सरकार अगर काम करने की छूट दे रही है तो मैकेनिक तक उत्पाद कैसे पहुंचे इसका भी इंतजाम करना होगा। दिल्ली और पंजाब की फैक्ट्री की साइकिल और उसके पार्टस से लदे ट्रक रास्ते मे फंसे हैं। ट्रक यहां आ नहीं सकते क्योंकि लखनऊ रेड जोन मे है लिहाजा ऐसे डीलरों और दुकानदारों को सप्लाई नहीं की जा रही जो इस जोन से बाहर हैं। यह कारोबार तीन महीने ही.होता है जिसका दो महीना लगभग निकल गया है।