नई दिल्ली, क्लिनिक कोविड -19 के प्रबंधन और रोकथाम में महामारी की शुरुआत से ही शामिल रहा है। मार्च-अप्रैल 2020 के आसपास से ही क्लिनिक कोविड पर अपने होमियोपैथी के सुरक्षात्मक प्रभाव का विश्लेषण करने में सक्षम था।
18 देशों में लगभग 15,000 रोगियों में कोविड -19 प्रोफ़ाइल एक्सेस प्रोटोकॉल और उनके विश्लेषण से संकेत मिलता है कि होमियोपैथी दवाओं का कोविड-19 पर मजबूत सुरक्षात्मक प्रभाव देखा गया था। जिस लहर के दौरान दिल्ली और भारत गुजरे हैं उसे क्लिनिक ने बेहद करीब से देखा वह सभी प्रकार के कोविड मामलों की गंभीरता के प्रबंधन में बहुत प्रभावी ढंग से शामिल रहा है। होमियोपैथी दवाओं ने हल्के और मध्यम मामलों में बहुत अच्छी तरह से काम किया है और बहुत गंभीर जीवन-संकट में डालने वाले मामलों में, मल्टीऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम और अन्य मामलों में भी कारगर रहा है।
दिल्ली में डेल्टा लहर के दौरान बहुत गंभीर मामलों में जहां लोग अस्पताल तक पहुंचने में असमर्थ थे वहां होमियोपैथी इलाज बेहद कारगर रहा। इसके अलावा लंबे समय तक कोविड -19 से उत्पन्न होने वाली समस्याएं जिसमें कोविड के लक्षण लंबे समय तक फेफड़ों को नुकसान पहुंचना, किडनी, अधिक शारीरिक मानसिक थकान आदि जैसे लक्षण हैं जिनसे प्रभावित लोग बहुत अच्छी तरह से ठीक हो रहे हैं। महामारी के चरम के दौरान लगभग 100 कोविड रोगियों का बचाव हर रोज के प्रबंधन में शामिल था, यह संख्या कुल मिलाकर बहुत अधिक है और निश्चित रूप से महामारी का असर अब कम हुआ और अब हम लंबे समय तक बहुत गंभीर रूप से बीमार रोगियों में उत्पन्न होने वाले कोविड के लक्षण और जटिलताओं के कई प्रबंधन में शामिल हो गए हैं।
Dr. Kushal Banerjee
M.D. (Hom.), M.Sc. (Evidence Based Medicine), University of Oxford