नयी दिल्ली, “संविधान न्यायाधीशों के लिए पवित्र ग्रंथ है, जब कोई न्यायाधीश अदालत में बैठता है तो उसके लिए संविधान ही गीता, कुरान, गुरुग्रंथ साहिब और बाइबल होता है।”
यह उद्गार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के तत्वावधान में बुधवार शाम आयोजित अपने विदाई समारोह में व्यक्त किये।
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित विदाई समारोह में न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि न्यायाधीशों के लिए संविधान ही उसका पवित्र धर्मग्रंथ होता है। जजों के लिए संविधान ही गीता, कुरान, बाइबल और गुरुग्रंथ साहिब हैं।
न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, “अच्छा वकील बनने के लिए आपको सबसे पहले बेहतर मानव बनना होता है। आपको हर किसी की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहना होता है।”
यह पहली बार हुआ है कि किसी न्यायाधीश का विदाई समारोह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई हो। इस अवसर पर एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे एवं कई वरिष्ठ अधिवक्ता स्क्रीन पर नजर आये।
इससे पहले पुरानी परम्परा के तहत न्यायमूर्ति गुप्ता ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंड बोबडे के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कुछ मामलों का निपटारा किया।