नयी दिल्ली, दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल फरवरी में उत्तर पूर्व दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में दो लोगों को अन्य मामलों से समानता के आधार पर जमानत दे दी।
अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया कि आरोप-पत्र दाखिल किये जाने से पहले चार सह-आरोपियों को जमानत दे दी गयी और छह अन्य को पिछले दो महीने में जमानत दी जा चुकी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कासिफ और वासिफ को दयालपुर इलाके में दंगों के दौरान एक कार शोरूम में तोड़फोड़ करने तथा उसमें आग लगाने से जुड़े मामले में 20 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत प्रदान की।
अदालत ने कहा कि दोनों आरोपी कथित तौर पर इलाके में दंगों के अन्य मामलों में संलिप्त थे, लेकिन उन्हें मौजूदा मामले में जमानत से इनकार का यह आधार नहीं हो सकता।
अदालत ने आरोपियों को सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और उनके मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करने का निर्देश दिया।
दोनों आरोपियों की ओर से वकील नासिर अली ने कहा था कि उन्हें मामले में गलत तरह से फंसाया गया है। उन्होंने अन्य मामलों से समानता के आधार पर जमानत मांगी थी।