लखनऊ, संपत्ति क्षति दावा अधिकरण के फैसलों को न्यायालय की परिधि से बाहर रखने के निर्णय को लोकतन्त्र और संविधान के खिलाफ बताते हुए समाजवादी पार्टी नेता एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि इसे मिली असीम ताकत भारतीय न्याय व्यवस्था का भी अपमान करती है।
श्री चौधरी ने कहा कि सपा लोकतन्त्र, संविधान और भारतीय न्याय व्यवस्था की भावना के विपरीत गठित इस अभिकरण का हर स्तर पर विरोध करेगी।
इस अधिकरण के फैसले को न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती है। इसके पीड़ितों को अपनी बेगुनाही का सबूत भी इसी अधिकरण के समक्ष देना होगा।
उन्हाेंने कहा कि अधिकरण को मिले इस असीम अधिकार का साफ अर्थ है कि उत्तर प्रदेश में अब लोकतन्त्र, संविधान और न्याय व्यवस्था का कोई मतलब नहीं है। देश के इस हृदय प्रदेश में अब कातिल ही यह फैसला भी करेगा कि वह कातिल है कि नहीं है। उन्होंने कहा है अधिकरण गठित कर उसके निर्णयों को न्यायालयों कीपरिधि से बाहर रखने का निर्णय तो सीधे सीधे न्याय व्यवस्था की हत्या है। जो लोग भी लोकतन्त्र, संविधान और भारत की न्याय व्यवस्था में यकीन रखते हैं, उन्हें इस अधिकरण का हर स्तर पर विरोध करना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में सरकार सभी मोर्चे पर फेल है। सूबे में जंगल राज की स्थिति व्याप्त है। अपहरण, हत्या, लूट और रेप की घटनाओं से लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। शासन प्रशासन का काम टेंडर सेटिंग, तैनाती सेंटिग तथा जनता के दोहन तक सीमित रह गया है। इस स्थित के विरोध में लोग आवाज उठाने लगे हैं। निजी सम्पति निमावली और अधिकरण के गठन का एक मात्र लक्ष्य प्रतिरोध की इन आवाजों को कुचलना है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह से 1942 में अंग्रेजों ने आजादी की आवाज को कुचलने के लिए शासन, प्रशासन और कानून का दुरुपयोग किया, जिस तरह से आपातकाल में कांग्रेसी सरकार ने अभियव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने के लिए शासन, प्रशासन और कानून का दुरुपयोग किया, उसी तरह से योगी सरकार भी सूबे हो रहे लूटपाट, हत्या, रेप, जुल्म, टेंडर सेटिंग, तैनाती सेटिंग औऱ अवैध दोहन के खिलाफ उठ रही विरोध की आवाजों को कुचलने के लिए शासन, प्रशासन और कानून का हर स्तर पर दुरुपयोग कर रही है। इसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए।