दिल्ली हिंसा में अपनों को खोने का गम, अब पोस्टमॉर्टम के इंतजार ने बढ़ाया दर्द
February 29, 2020
नई दिल्ली,देश की राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन एक्ट के नाम पर फैली हिंसा अब थम गई है। लेकिन हिंसा थमने के बाद अब जख्मों का दिखना शुरू हो गया है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगों की मार झेलनेवाले परिवार अब हॉस्पिटल के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो रहे हैं। अब पोस्टमॉर्टम के लिए यह लंबा इंतजार, उनके जख्म पर नमक छिड़कने से कम नहीं है। मौत का आंकड़ा 42 पार हो चुका है लेकिन अभी केवल 18 पोस्टमॉर्टम हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार सभी डेड बॉडी के पोस्टमॉर्टम होने में कम से कम पांच से छह दिन का समय लग सकता है। अभी केवल 18 पोस्टमॉर्टम हुए हैं। ऐसे भी किस्से हैं कि बॉडी का हर हिस्सा जल चुका है और पहचान के लिए डीएनए टेस्ट ही करना होगा।
जीटीबी अस्पताल की मॉर्चरी में सिर्फ 20 डेड बॉडी एक साथ रखने की जगह है और यहां पर एक साथ में 20 से ज्यादा डेड बॉडी हो गई थीं। परिजनों का आरोप है कि देरी से पोस्टमॉर्टम होने की वजह से बॉडी सड़ने लगी हैं। कई परिजनों ने यह आरोप लगाया कि देरी से डेड बॉडी पर असर हो रहा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अब पोस्टमॉर्टम हाउस में केवल 20 डेड बॉडी हैं और इतनी बॉडी के लिए मॉर्चरी में फ्रीजर है।
पोस्टमॉर्टम मेडिको-लीगल केस होता है, इसमें पुलिस और डॉक्टर का रोल है। सबसे पहले डेड बॉडी से संबंधित डॉक्युमेंट्स का काम केस से जुड़े आईओ (इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर) को पूरा करना होता है, उसके बाद ही डॉक्टर पोस्टमॉर्टम करते हैं। खासकर जब इस तरह के गंभीर मामले होते हैं, उसमें कागजी कार्यवाही पर पूरा ध्यान रखा जाता है, ताकि कोई कमी नहीं रह जाए। जीटीबी में पोस्टमॉर्टम में हो रही देरी की वजह पुलिस की ओर से रिपोर्ट नहीं देने को बताया जा रहा है।
अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुनील कुमार का कहना है कि पुलिस की ओर से हमें जितने डॉक्युमेंट्स मिल रहे हैं, उतने पोस्टमॉर्टम किए जा रहे हैं। शुक्रवार को पुलिस की ओर से 10 पोस्टमॉर्टम करने की रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन नौ का पोस्टमॉर्टम हुआ, एक का नहीं हो पाया।