नई दिल्ली, इंडोनेशिया में सुनामी एक बार फिर कहर बनकर गुजरी है. यहां सुनामी के चलते 62 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 600 अन्य घायल हो गए हैं. सुनामी के कारण यहां जानमाल का व्यापक नुकसान हुआ है. इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान और भूगर्भ एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अनाक क्राकाटाओ ज्वालामुखी के फटने के बाद समुद्र के नीचे भूस्खलन सुनामी का कारण हो सकता है.
उन्होंने लहरों के उफान का कारण पूर्णिमा के चंद्रमा को भी बताया. जावा के दक्षिणी छोर और दक्षिणी सुमात्रा के तटों पर आई सुनामी की लहरों से दर्जनों इमारतें तबाह हो गई हैं. नेशनल डिज़ास्टर एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुर्वो नुग्रोहो ने बताया कि सुनामी स्थानीय समयानुसार कल रात आई. प्रवक्ता ने कहा, “62 लोगों की मौत हुई है, 600 लोग घयाल हुए हैं और दो लोग लापता हैं.
इस आपदा के चश्मदीद ओएस्टीन एंडरसन ने फेसबुक पर लिखा, ‘मैं ज्वालामुखी की तस्वीरें ले रहा था, तभी समुद्र में उठ रही ऊंची-ऊंची लहरें जमीन पर 15-20 से मीटर अंदर तक पहुंच गईं. इसे देखकर मुझे वहां से भागना पड़ा. उन्होंने कहा ‘अगली लहर होटल एरिया तक जा पहुंचीं और सड़कों व कारों को तहसनहस कर दिया. किसी तरह मैं अपने परिवार के साथ वहां से निकलने में कामयाब रहा और जंगल के रास्ते ऊंचे इलाके तक पहुंचा. शुक्र है कि हम सब ठीक-ठीक है.’इस सुनामी का सबसे ज्यादा असर जावा के बानतेन प्रांत स्थित पंडेगलांग इलाके पर पड़ा है. मृतकों में शामिल 33 लोग इसी इलाके से हैं. इसके अलावा दक्षिणी सुमात्रा के बांदर लामपंग शहर में सैकंड़ों लोगों को गवर्नर के कार्यालय में शरण लेनी पड़ी है.
अधिकारियों का कहना है कि अनक के फटने की वजह से समुद्र के अंदर लैंडस्लाइड हुआ और लहरों में असामान्य परिवर्तन आया, जिसने सुनामी का रूप ले लिया. इंडोनेशिया की जियोलॉजिकल एजेंसी सुनामी के कारणों का पता लगाने में जुट गई है. नुग्रोहो ने कहा कि मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है. अनक क्रैकटो एक छोटा वॉल्कैनिक आइलैंड है जो कि 1883 में क्रैकटो ज्वालामुखी के फटने के बाद अस्तित्व में आया था. इससे पहले सितंबर में सुलावेसी द्वीप पर पालू शहर में आए भूकंप और सुनामी में करीब 2,500 लोगों की मौत हुई थी.