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हर शहर गांव में अपराधों की भरमार, पुलिस भी उसमें हिस्सेदार: अखिलेश यादव

लखनऊ,  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि हर शहर, गांव में अपराधों की भरमार है। पुलिस भी उसमें हिस्सेदार बनी हुई है।  बेहाल जनता कहां जाए?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि हर शहर, गांव में अपराधों की भरमार है। पुलिस भी उसमें हिस्सेदार बनी हुई है।  बेहाल जनता कहां जाए? हाथरस में हैवानियत की शिकार बेटी एवं सरकार द्वारा प्रताड़ित शोकाकुल परिवार के प्रति हमारी संवेदना है। इस परिवार के न्याय के लिए संघर्ष में हम उनके साथ है।

उन्होंने कहा भाजपा सरकार के रवैये से जनता का विश्वास उस पर से उठ गया है।
हाथरस के अलावा बलरामपुर, बागपत, मेरठ, फतेहपुर, अलीगढ़, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, महाराजगंज, मथुरा, प्रयागराज, आजमगढ़, बुलन्दशहर, भदोही, लखनऊ, झांसी, सोनभद्र, रायबरेली, चंदौली आदि जनपदों से भी महिलाओं-बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं की सूचनाएं हैं।
     श्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में लगातार महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही है। मुख्यमंत्री जी का ऐन्टी रोमियों स्क्वाड कहां चला गया है? अलीगढ़ में 4 साल की बच्ची से दुष्कर्म हुआ और अमरोहा में महिला की गला घोंट कर हत्या कर दी गई। कानपुर देहात के रूरा थाना क्षेत्र के गहोलिया गांव में 8 दिन से लापता बच्ची का कंकाल मिला। बुलन्दशहर के सिकन्दराबाद में भी एक किशोरी हैवानियत की शिकार हुई। खुद मुख्यमंत्री जी के गृह जनपद गोरखपुर में पिछले दिनों 6 बेटियाँ खुदकशी कर चुकी हैं। छेड़छाड, दुष्कर्म का विरोध करने पर पीड़िताओं के परिवारीजनों की पिटाई होना आम बात हो गई है। गोरखपुर में महिला की हत्या हुई और बेटा-बेटी घायल हैं। पीलीभीत में एक मासूम की गला रेतकर हत्या कर दी गई।
   

 भाजपा सरकार का बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का नारा और मुख्यमंत्री जी की अपराधियों को दी जा रही थोथी धमकियाँ जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी लगती हैं। उत्तर प्रदेश में बहू-बेटियों की जिंदगी पर हर क्षण खतरा मंडराता रहता है। उन पर अत्याचार का बेलगाम दौर चल रहा है।
     

समाजवादी सरकार में 1090 वूमेन पावर लाइन और यूपी डायल 100 सेवा अपराध नियंत्रण में प्रभावी थी, भाजपा राज में उन्हें निष्क्रिय कर दिया गया। अपराधी बेखौफ हो गए। भाजपा के जंगलराज में रूह कंपाने वाली वारदातों पर रोकथाम की इच्छाशक्ति भी अब प्रशासन में नहीं दिखाई पड़ती है।