कानपुर, पनकी पावर हाउस में निकले अजगर का सेवा दान फाउंडेशन संस्था द्वारा रेस्क्यू किया गया। फाउंडेशन द्वारा जीवों को बचाने का सिलसला जारी।
पनकी पावर हाउस के बाहर लगभग 8 फुट से अधिक लंबाई के अजगर निकलने की सूचना सेवा दान फाउंडेशन संस्था को मिली। सूचना मिलने पर संस्था की रेस्क्यू टीम की वालंटियर जानवी जी द्वारा उसे जाकर रेस्क्यू किया गया। और सुरक्षित स्थान पर आजाद किया गया।संस्था से जुड़ी जानवी जी द्वारा पहले सांपों,बिषखापरो,गोय जैसे जीवों को रेस्क्यू किया जा चुका है।
संस्था के फाउंडर आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि अब तक दुनिया में 11 अजगर की प्रजातियां देखी जा चुकी है। जिसमें से यह भारतीय अजगर (Indian Rock Python) वैज्ञानिक नाम (Python Molurous(मोलुरस) जो कि एक Non Venomous(बिना जहरीला) है।
यह पूरे भारतवर्ष में पाए जाते हैं इनका निवास जंगलों से लेकर बंजर जमीन तक होता है यह निशाचर होते हैं। जबड़े के आगे स्थित ताप संवेदी गड्ढे की वजह से शिकार ढूढ़ने में मदद होती है शिकार को मुंह से पकड़ने के बाद शरीर से लपेट लेता है और उसे दबोच कर दम घोट कर मर देता है उसके बाद शिकार के मुंह की तरफ से धीरे-धीरे निकल जाता है मध्यम आकार के प्राणी को हजम करने में अजगर को करीब 3 सप्ताह भी लग जाते हैं।
जनवरी से मार्च में इनका प्रजनन काल रहता है।
पत्तों का ढेर बनाकर मादा उसमें 20 से 80 तक अंडे देती है।
इनके अंडे का वजन लगभग 100 ग्राम होता है और बच्चे अंडे से बाहर 90 से 100 दिनों में निकलते हैं बच्चों की लंबाई औसतन 30 होती है।