नयी दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय रेलवे के पश्चिमी मालवहन गलियारे (डीएफसी) के 306 किलोमीटर रेवाड़ी-मदार खंड का आज उद्घाटन किया और इस ट्रैक पर विश्व की प्रथम विद्युतीकृत डेढ़ किलोमीटर लंबी लॉन्ग हॉल मालगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।
श्री मोदी ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक समारोह में उद्घाटन किया। इस मौके पर रेल मंत्री पीयूष गोयल, हरियाणा के राज्यपाल के सत्यदेव नारायण आर्य एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी उपस्थित थे। श्री मोदी ने न्यू अटेली और न्यू किशनगढ़ स्टेशन से विश्व की प्रथम विद्युतीकृत डेढ़ किलोमीटर लंबी दो लॉन्ग हॉल मालगाड़ियों को हरी झंडी दिखा कर दोनों दिशाओं में रवाना किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मालवहन गलियारे देश के तेज विकास के गलियारे बनेंगे। इससे देश में नये विकास क्लस्टर विकसित होंगे। इससे अर्थव्यवस्था के अन्य इंजनों को भी गति मिलेगी और राेजगार के असंख्य अवसर पैदा होंगे। इससे उद्योगाें को नयी ऊर्जा मिलेगी और खेती किसानी को भी बल मिलेगा। गुजरात एवं महाराष्ट्र के बंदरगाहों तक सीधी कनेक्टिविटी मिलने राजस्थान हरियाणा, उत्तर प्रदेश में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कंटेनर हब, पार्सल हब, फ्रेट स्टेशन, लॉजिस्टिक सेंटर और कंटेनर डिपो रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने आधारभूत ढांचे को विश्व स्तर का बनाना होगा। डीएफसी उसी का एक उदाहरण है।
उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच 1504 किलोमीटर लंबे पश्चिमी डीएफसी का न्यू रेवाड़ी- मदार खण्ड हरियाणा और राजस्थान में आता है। इस खंड में न्यू रेवाड़ी, न्यू अटेली और न्यू फूलेरा जैसे तीन जंक्शन सहित नौ स्टेशन हैं। अन्य स्टेशन – न्यू डाबला, न्यू भगेगा, न्यू श्री माधोपुर, न्यू पछार मालिकपुर, न्यू सकूल और न्यू किशनगढ़ हैं। पश्चिमी डीएफसी पर मालगाड़ियों के परिचालन शुरू होने से हरियाणा के रेवाडी, मानेसर, नारनौल, फुलेरा और राजस्थान के किशनगढ़ की औद्योगिक इकाइयों को काफी फायदा होगा। राजस्थान के काठूवास में स्थित कॉनकोर के कन्टेनर डिपो का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा। इससे गुजरात में स्थित कान्डला, पिपावाव, मुंद्रा और दाहेज बंदरगाहों से सामान की ढुलाई भी आसान हो जाएगी
जापान सरकार के आर्थिक सहयोग से बनाये जा रहे पश्चिमी डीएफसी में ओवरहेड विद्युत तारों की ऊंचाई अधिक रखी गयी है जिससे दोमंजिले कंटेनरों की ढुलाई हो सके। इस ट्रैक पर डबल स्टेक कंटेनरों वाली लॉन्ग हॉल मालगाड़ियों को 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ेंगीं। इस गलियारे को भारतीय रेल की अनुसंधान इकाई ने डिजाइन किया है। बीएलसीएस–ए और बीएलसीएस वैगनों में कंटेनर की वर्तमान क्षमता की तुलना में चार गुना अधिक इकाइयों को ढोया जा सकता है। इस मालवहन गलियारे से उत्तर भारत में मल्डी-मॉडल लॉजिस्टक हब तथा दिल्ली -मुंबई औद्योगिक गलियारा जुड़ेंगे। इस साल के अंत रेवाड़ी से दादरी के बीच लाइन चालू हो जाएगी। इस प्रकार से कानपुर से गुजरात के बंदरगाह के बीच सीधे मालवहन कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी।
श्री मोदी ने गत 29 दिसम्बर को पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के 351 किलोमीटर लंबे न्यू खुर्जा-न्यू भाउपुर खंड का उद्घाटन किया था। पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) लुधियाना (पंजाब) के निकट साहनेवाल से शुरू होगा और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखंड राज्यों से होते हुए पश्चिम बंगाल के दानकुनी में समाप्त होगा। पूर्वी डीएफसी के खुर्जा भाऊपुर खंड के चालू होने से कोयला, जूट, पेट्रोलियम, कंटेनर, लोहा और इस्पात और अन्य खनिज प्राथमिक वस्तुओं की एनसीआर, पंजाब और हरियाणा क्षेत्र के लिए जबकि पंजाब और हरियाणा क्षेत्र से चावल, गेहूं और खाद्यान्न उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, कोयला लोड करने योग्य खाली वैगन आदि पूर्वी भारत के लिए ढुलाई आसान होगी।