किसानों के समर्थन मे उतरे ये राज्यपाल, पत्रकार से बोले पीएम मोदी को समझाओ

लखनऊ, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन मे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा बयान दिया है। उन्होने इसके लिये एक वरिष्ठ पत्रकार से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समझाने के लिये कहा है।   राज्यपाल सत्यपाल मलिक रविवार को बागपत के अमीननगर सराय स्थित शीलचंद इंटर कालेज परिसर में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए, उन्हें खाली हाथ न लौटाएं। एमएसपी पर कानून बने।  राज्यपाल ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और किसानों का दर्द जानता हूं। यदि मेरी जरूरत पड़े तो मैं भी किसानों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हूं।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि कल मैं एक वरिष्ठ पत्रकार से मिलकर आया हूं जो प्रधानमंत्री के बहुत अच्छे दोस्त हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं लेकिन अब तुम उन्हें समझाओ कि ये गलत रास्ता है। किसानों को दबाकर और अपमानित करके दिल्ली से भेजना गलत कदम है। आगे उन्होंने कहा कि पहले तो किसान दिल्ली से जाएंगे नहीं, क्योंकि ये जाने के लिए नहीं आए हैं। अगर ये चले गए तो 300 वर्ष तक नहीं भूलेंगे। अगर सरकार एमएसपी को क़ानूनी मान्यता दे देती है तो मैं अपनी जिम्मेवारी लेकर सारे मामले को निपटा दूंगा।

सत्यपाल मलिक ने कहा कि अगर ये आंदोलन ज्यादा चलता रहा तो नुकसान बहुत होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सिखों को जानता हूं। जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार किया था तो एक महीने तक उन्होंने अपने फार्म हाउस पर महामृत्युंजय जाप करवाया था। ये जानकारी मुझे अरुण नेहरू ने दी थी। जब अरुण नेहरू ने उनसे जाप करवाने का कारण पूछा तो इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने सिखों का अकाल तख़्त तोड़ा है ये मुझे छोड़ेंगे नहीं। इंदिरा गांधी को इस बात का इल्म पहले ही था। इन लोगों ने तो जनरल वैद्य को पूना में जाकर मारा था।

इसके अलावा सत्यपाल मलिक ने कहा कि राज्यपाल का काम चुप रहना, हस्ताक्षर करना और आराम करना होता है लेकिन मेरे से चुप नहीं रहा जाता। इसलिए किस दिन मेरी छुट्टी हो जाए पता नहीं। हां, इतना जरूर है कि रिटायरमेंट के बाद आपके बीच रहूंगा और किताब लिखूंगा। उम्मीद है कि आप सभी को मेरी लिखी हुई किताब पसंद आएगी।  अभी किसानों को लेकर जो हो रहा है उसपर मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी बात की। मैंने दोनों लोगों से दो आग्रह किया। पहला ये कि किसानों को दिल्ली से खाली मत भेजना क्योंकि सिख लोग 300 सालों तक किसी चीज को नहीं भूलते हैं। दूसरा इन लोगों पर कभी बल प्रयोग मत करना। इसलिए जिस दिन टिकैत पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही थी तो मैंने 11 बजे रात को फ़ोन करके उनकी गिरफ़्तारी रूकवाई।

वह बागपत के हिसावदा गांव के रहने वाले हैं।  जिस इंटर कालेज में उनका अभिनंदन समारोह हुआ, उन्होंने उसी स्कूल से पढ़ाई की है। जब वह अपने संबोधन में काफी भावुक हो गए। समारोह में मौजूद लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये सब जितने भी बैठे हैं सबको जानता हूं। किसका नाम लूं और किसका नहीं। सत्यपाल सिंह ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का जिक्र किया।

 

Related Articles

Back to top button