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एंटीबायोटिक दवाओं का भविष्य सुरक्षित करने उठाए ये कदम…

नयी दिल्ली,  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस’ (एएमआर) से 2050 तक हर साल एक करोड़ लोगों की मौत की चेतावनी देते हुए दक्षिण-पूर्वी एशिया के अपने स्वास्थ्य अधिकारियों से इस समस्या से निपटने के लिये जबरदस्त प्रभाव छोड़ने वाले कदम उठाने का आग्रह किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) की दक्षिण-पूर्वी एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने मंगलवार को कहा कि मानव और पशु स्वास्थ्य के लिये एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक उपयोग और दुरुपयोग इसके प्रतिरोधी बैक्टीरिया के बढ़ने और फैलने को गति देते हैं।

दुनियाभर में मनाए जा रहे विश्व एंटीबायोटिक जागरुकता सप्ताह के बीच पूनम ने एएमआर से लड़ने के लिये मानक उपचार दिशा-निर्देशों के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल की प्रभावी निगरानी, स्वास्थ्य केन्द्रों में संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण (आईपीसी) को मजबूत करने और राजनीतिक नेतृत्व, जवाबदेही और समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “एएमआर एक वैश्विक संकट है जो हमारी सबसे कीमती दवाओं – एंटीबायोटिक दवाओं के भविष्य के लिये खतरा है।”
सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में एएमआर से हर साल सात लगभग सात लाख लोगों की मौत हो जाती है। अगर तुरंत कोई कदम नहीं उठाया गया तो 2050 तक से सालाना एक करोड़ लोगों की मौत होने की संभावना है।