जौनपुर, आईआईटी दिल्ली में वैज्ञानिक मानवीय अजीत सिंह अपने विश्वास के दम पर उत्तर प्रदेश के जौनपुर में ग्रामीण महिलाओं और किसानों को उड़ान का नया पंख देने के लिए अपना वातानुकूलित दफ्तर छोड़कर चिलचिलाती धूप में गांव की पगडंडियों पर चलकर पसीना बहा रही है।
उसका बस एक ही मकसद है,महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर अपने बाल बच्चो का भविष्य सवारें । वो परम्परागत खेती से लगातार नुकसान उठाने वाले किसानो के जीवन में नया सवेरा लाने का प्रयास कर रही है। इतना ही नही उन्होंने महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए आपदा को अवसर में बदल दिया है। अब तक वह डेढ़ हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ चुकी है।
उत्तर प्रदेश में जौनपुर जलालपुर इलाके के मुजारा कुसियां गांव की मूल निवासी मानवीय अजीत सिंह मौजूदा समय में आईआईटी दिल्ली में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत है। कोरोना काल में वह वर्क टू होम कर रही है। कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगो की जानकारी मिलते ही उसने सभी को गांव में ही काम दिलाने के लिए घर से निकलकर गांव में पहुंच गयी। गांव पहुंचने पर पता चला कि किसान,मजदूर,महिलाएं सभी परेशान हैं। माली हालत ठीक न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो गयी है।
ग्रामीणों की यह हालत देख उन्हें आश्चर्य हुआ कि केन्द्र और प्रदेश सरकार इन लोगो के उत्थान के लिए इतनी ढे़र सारी योजनाएं चल रही है उसके बाद भी अन्नदाता बेहाल और परेशान है। महिलाएं घर बैठी हैं।उन्होंंने गांव में चौपाल लगा महिलाएं के हुनर के बारे में जानकरी प्राप्त की और किसानों की समस्या से रूबरू हुई। साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी । कुछ महिलाओं को सिलाई पहले से आती थी , जिसे नही आती थी उसे सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग दी । ट्रेनिंग के बाद पहले चरण में मास्क बनवाना शुरू किया। तैयार मास्क बाजारों में बिकने लगा । इससे करीब डेढ़ सौ महिलाओ को काम मिला।
अब मानवीय प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चो की ड्रेस सिलाई की योजना है। यह कार्य भी इसी सप्ताह में शुरू कर दिया जायेगा। इसके अलावा महिलाओं से अचार पापड़ बनवाकर बाजार में बिकवा रही हैं ।
किसानो की समस्या के निदान के लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क किया है। वहां पर चलने वाली योजना मसरूम की खेती,मधुमक्खी पालन,बकरी पालन,बागवानी समेत अन्य योजनाओ के बारे किसानो को जागरूक कर उन्हे ट्रेनिंग दिलारही हैं । आवारा पशुओं व नील गाय से फसलों को बचाने के बारे में मानवीय सिंह ने बताया कि कई सेंट ऐसे आ गये है जिसका छिड़काव करने के पशु फसलो के पास नही आते है।
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय, नाली खड़ंजा का भी भौतिक सत्यापन करके सरकार तक अपनी रिपोर्ट भेज रही है। इसका भी लाभ ग्रामीणो को मिलने लगा है।