नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की मदद करने वाली दो समाजसेविकाओं को जेल भेजने पर नाराजगी जताते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने इस मामले में नोटिस भी जारी किया।
यह मामला बिहार के अररिया जिले का है, जहां एक निचली अदालत में गैंग रेप का मुकदमा चल रहा था। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करा रही थी। बयान पूरा होने के बाद मजिस्ट्रेट ने महिला से दस्तखत करने को कहा।
इस पर पीड़िता ने कहा कि वह नहीं समझ पा रही है कि इसमें क्या लिखा है, जब सामाजिक कार्यकर्ता तन्मय और कल्याणी उन्हें पढ़कर नहीं सुनाएंगी, तब तक वह दस्तखत नहीं करेंगी। इस पर मजिस्ट्रेट और पीड़ित महिला के बीच बहस हो गई।
दूसरी ओर मजिस्ट्रेट का आरोप है, महिला ने उनके स्टाफ से बदतमीजी की और कानून की प्रक्रिया में बाधा डाली। इसलिए पीड़ित महिला, तन्मय और कल्याणी तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। हालांकि पीड़ित महिला का मामला अभी शीर्ष अदालत नहीं पहुंचा है।