मध्यप्रदेश विधान सभा के फ्लोर टेस्ट मे ये है नंबर गेम की स्थिति ?

नई दिल्ली,  मध्यप्रदेश की लगभग पंद्रह माह पुरानी कमलनाथ सरकार पर आए संकट को लेकर एक पखवाड़े से अधिक समय से चल रही अभूतपूर्व राजनैतिक उठापटक का आज उच्चतम न्यायालय द्वारा शुक्रवार काे शाम पांच बजे तक श्फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिए जाने के बाद पटाक्षेप होने की उम्मीद बन गयी है।

उच्चतम न्यायालय की सुनवायी पर दो दिनों से सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की नजरें लगी हुयी थीं। न्यायालय के आदेश के बाद जहां भाजपा नेताओं के चेहरे खिल गएए वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ के खेमे में मायूसी नजर आने लगीए हालाकि राज्य के लगभग सभी मंत्रियों ने तात्कालिक प्रतिक्रिया में उम्मीद जतायी है कि फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ सरकार बहुमत साबित करने में सफल होगी।

दरअसल राज्य विधानसभा में कुल 230 सीट हैं, जिनमें से दो जौरा और आगर संबंधित विधायकों के निधन के कारण रिक्त हैं। शेष 228 में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बहुजन समाज पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस के 114 में से 22 विधायक ;जो बेंगलूरु में डेरा डाले हैं त्यागपत्र दे चुके हैं। इन 22 में से विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार कर लिए हैं। ये सभी छह विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं और कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे, जिन्हें मुख्यमंत्री विधायक पद से त्यागपत्र स्वीकार होने के पहले ही मंत्री पद से बर्खास्त कर चुके थे। शेष विधायक भी श्री सिंधिया के समर्थक हैं।

बाइस में से छह विधायकों के त्यागपत्र होने के बाद कांग्रेस के बागी रुख अपनाए विधायकों की संख्या 16 है। ये विधायक और छह पूर्व विधायक अभी भी बंगलूर में है और राज्य में श्खतरा होने की वजह से भोपाल आने का जोखिम नहीं उठा रहे हैं। माना जा रहा है कि ये विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान भी अनुपस्थित रहेंगे। इस स्थिति में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 92 रह जाती है। यदि कांग्रेस को बसपा, सपा और चार निर्दलीय भी समर्थन करते हैं, तो इनकी संख्या बढ़कर 99 पर आ जाएगी।

वहीं भाजपा के 107 में से एक विधायक नारायण त्रिपाठी को छाेड़कर 106 विधायक एकसाथ भोपाल से 45 किलोमीटर दूर सीहोर के एक होटल में एकसाथ रुके हुए हैं। श्री त्रिपाठी को छोड़ दिया जाए, तो भी भाजपा के 106 विधायक एकजुट नजर आ रहे हैं। श्री त्रिपाठी पिछले एक पखवाड़े के दौरान कम से कम आधा दर्जन बार मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले हैं और उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर भाजपा से अलग होने का ही अहसास कराया है।

अब मौजूदा संख्या बल को लेकर सभी की नजरें कल विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रहेंगी। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद अपने मंत्रियों और अन्य रणनीतिकारों से चर्चा की। हालाकि उनकी तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी।