लखनऊ, 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के सामने एक के बाद एक एेसी समस्या खड़ी होती जा रही है कि जो उसे न केवल सत्ता से दूर कर देंगी बल्कि उसके जनाधार को भी समेट देंगी। विपक्ष ने अब बीजेपी के खिलाफ दलित वोटों का बिखराव रोकने का नया दांव चल दिया है।
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गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने पिछले दिनों वाराणसी मे मायावती को अपनी बहन बताकर और लोकसभा चुनाव में उनका साथ देने का ऐलान कर बीजेपी के होश उड़ा दियें हैं। साथ ही, उन्होंने भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण को भी साथ लाने का दावा किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी के खिलाफ दलित वोटों की ये एकजुटता निश्चित तौर पर बीजेपी के लिये बड़े खतरे की घंटी है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक दलित सम्मेलन में जिग्नेश ने कहा, ‘मायावती मेरी बहन हैं। मोदी से उनका कोई संबंध नहीं है। मैं और चंद्रशेखर, मायावती के दाएं और बाएं हाथ हैं। हम दोनों साथ खड़े हो गए तो बीजेपी का कहीं पता भी नहीं चलेगा।’ विपक्ष का यह दांव निश्चित रूप से बीजेपी के लिये भारी पड़ेगा। क्योंकि इसका असर केवल यूपी मे नही होगा बल्कि पूरे देश मे 21 प्रतिशत दलित वोटों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करेगा। पहले ही 31 प्रतिशत वोटों के बल पर सत्ता मे आयी बीजेपी के लिये , दलितों का पूरी तरह से उसके खिलाफ वोट करना भारी पड़ेगा।
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यूपी मे सपा-बसपा ने आपस मे गठबंधन कर पहले ही बीजेपी की नींद उड़ा रखी है। मायावती ने उपचुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की राजनीति का एक प्रयोग किया, जो बेहद सफल रहा। गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। अब मायावती की सरपरस्ती मे दलित वोटों की बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का यह दांव बीजेपी को सत्ता से दूर करने की दिशा मे विपक्ष का ठोस प्रयास साबित होगा।