लखनऊ, प्रदेश के कृषि मंत्री, श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों में मृदा एक महत्वपूर्ण संसाधन है। उन्होंने कहा कि एक इंच मृदा के निर्माण में हजारों वर्ष का समय लगता है। उन्होंने बताया कि मृदा केवल भौतिक कणों का संगम ही नहीं है, बल्कि एक ग्राम मृदा में करोड़ों की संख्या में सूक्ष्म जीव पाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि मृदा उर्वरता बनाये रखने के लिये मृदा में उचित मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों के साथ-साथ सूक्ष्म जीवों की भी उपलब्धता आवश्यक है।
श्री शाही आज विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि निदेशालय स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन एवं मृदा स्वास्थ्य सुधार विषयक राज्य स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यशाला में विभिन्न जनपदों से आये किसानों एवं कृषि विभाग के अधिकारीगणों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिये हमें खेती की लागत को कम करना होगा और उन्हें उत्पाद का अधिकतम मूल्य दिलाना होगा। जैविक खेती से उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादन करके अच्छा मूल्य प्राप्त करने के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य को भी संरक्षित किया जा सकता है।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा वृहद स्तर पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण कराया जा रहा है। प्रथम चक्र में 1.70 करोड़, द्वितीय चक्र में 1.98 करोड़ एवं पायलट प्रोजेक्ट माॅडल ग्राम में 1.86 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराये जा चुके हैं। उन्होंने किसान से अपेक्षा की कि वे मृदा स्वास्थ्य कार्ड में अंकित संस्तुतियों के आधार पर ही उर्वरक एवं खाद आदि का उपयोग करें। उन्होंने गोबर व गोमूत्र मिश्रित खाद एवं वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग को बढ़ावा दिये जाने पर बल दिया।
श्री शाही ने बताया कि इसके अतिरिक्त मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक कृषि यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत तक की छूट कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक के माध्यम से दी जा रही है। अभी तक 3723 कस्टम हायरिंग सेंटर और 266 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये जा चुके हैं, जबकि 18475 कृषि यंत्रों का वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को खेत में जलाना अपराध है।
गन्ना मंत्री, श्री सुरेश राणा ने कहा कि अपनी आय में वृद्धि हेतु किसान विज्ञान एवं तकनीकी के साथ जुड़ें। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित एम-किसान पोर्टल पर 28 लाख किसान सीधे विज्ञान एवं तकनीकी से जुड़े हुये हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के किसानों को उनके हितार्थ चलाये जा रहे कार्यक्रमों एवं योजनाओं की जानकारी है, इसका अर्थ है कि कृषि विभाग द्वारा पूर्ण ईमानदारी से जमीन पर योजनायें एवं कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तो वैज्ञानिक हैं ही, लेकिन हमारे किसान भी किसी वैज्ञानिक से कम नहीं हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिये कृषि की लागत को कम, पैदावार ज्यादा और उत्पाद का अधिकतम मूल्य दिलाना होगा। श्री राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के हित में बेहतर से बेहतर प्रयास कर रही है।
कृषि राज्यमंत्री, श्री लाखन सिंह राजपूत ने कहा कि हमें वायु, जल और मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि मिट्टी का स्वास्थ्य, पौधों का स्वास्थ्य, पशुओं का स्वास्थ्य सीधे तौर पर हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। यदि ये स्वस्थ्य नहीं हैं तो हम कभी भी स्वस्थ्य नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि हमने खाद्य सुरक्षा तो कर ली, परन्तु अब पोषण सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके लिये हमारी मृदा का स्वस्थ्य होना जरूरी है।
कार्यशाला के दौरान प्रदेश के विभिन्न जनपदांे से आये किसानों से उनके हितार्थ चलायी जा रही योजनाओं से सम्बन्धित प्रश्न भी पूछे गये। सही उत्तर देने वाले 15 किसानों, सर्वश्री घनश्याम सिंह, अरूण कुमार यादव, योगेन्द्र सिंह परिहार, सुरेन्द्र राय, अश्विनी कुमार पाण्डेय, रामचरण यादव, सुशील कुमार तिवारी, विक्रम प्रसाद, ध्रुव चन्द्र तिवारी, नवनीत कुमार राजपूत, हरिश्चन्द्र वर्मा, अश्विनी वशिष्ठ, गुलफाम, शमशाद अली तथा राजेन्द्र सिंह को कृषि मंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर श्री ए0के0 सिंह, विभागाध्यक्ष, आईसीएआर, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने गन्ना अवशेष प्रबंधन पर, सुश्री स्मिता वर्मा, डीडीएससी, वाराणसी ने जल संरक्षक एवं भूमि प्रबंधन पर तथा पूर्व कृषि निदेशक, श्री के0बी0 सिंह ने मृदा स्वास्थ्य एवं अवशेष प्रबंधन पर विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में प्रमुख सचिव कृषि, श्री अमित मोहन प्रसाद, कृषि निदेशक, श्री सोराज सिंह, अपर कृषि निदेशक, श्री रामशब्द जैसवारा एवं श्री विष्णु प्रताप सिंह सहित कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।