चीन में कोरोना वायरस को रोकने के लिये, विश्व स्वास्थ्य संगठन आया सामने
February 16, 2020
बीजिंग/वुहान, चीन में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष विशेषज्ञों का दल सप्ताहांत में चीन पहुंचने वाला है और अब तक इस वायरस की चपेट में आने से 1,523 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं एशिया से बाहर फ्रांस में इस वायरस से मौत का पहला मामला सामने आया है।
चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि इस वायरस से 66,000 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि देश में शुक्रवार को इस विषाणु के संक्रमण के कारण 143 लोगों की मौत हुई और 2,641 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई। चीन के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस वायरस पर रोक लगाने और नियंत्रण की कोशिश ‘ सबसे ज्यादा अहम चरण’ पर पहुंच चुका है क्योंकि इस वायरस का केंद्र हुबेई प्रांत में मौत की संख्या बढ़ रही है जबकि पूरे चीन में मामले कम हो रहे हैं।
फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री एग्नेस बुजीन ने शनिवार को बताया कि फ्रांस में कोरोना वायरस से पीड़ित 80 वर्षीय चीनी पर्यटक की मौत हो गई है। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की एशिया से बाहर मौत का यह पहला मामला है। चीन से बाहर सिर्फ तीन लोगों की मौत इससे पहले हुई थी। ये मौतें -फिलीपीन, हांगकांग और जापान में हुई है।
जापान में भारतीय दूतावास ने शनिवार को कहा कि जापानी तट के पास एक क्रूज जहाज पर सवार एवं कोरोना वायरस से संक्रमित तीन भारतीयों की हालत में सुधार हुआ है और पृथक रखे गए इस जहाज पर भारतीयों में संक्रमण का कोई नया मामला दर्ज नहीं किया गया है।
वहीं चीन से बाहर इस वायरस के लोगों के चपेट में लेने का सबसे ज्यादा मामले जापान के तट पर इस महीने की शुरुआत में पहुंचे एक क्रूज जहाज के है। इस पर सवार 3,711 लोगों में कुल 138 भारतीय हैं। इनमें चालक दल के 132 सदस्य और छह यात्री शामिल हैं।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि जहाज पर मौजूद तीन भारतीयों समेत 218 लोग घातक कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में हैं। चीन में कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों का इलाज करते हुए 1,700 डॉक्टर इसकी चपेट में आ गए और अब तक छह डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। चीन ने एक दर्जन से ज्यादा मरीजों के इलाज में पारंपरिक चीनी दवाई का सहारा लिया है। इसके अलावा चीन की सरकार ने अमेरिकी वायरलरोधी दवाई रेमडेसीवीर का भी सहारा लिया है, जिसका इस्तेमाल अफ्रीका में इबोला वायरस के इलाज में किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पारंपरिक और पश्चिमी दवाइयों के इलाज के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।