नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा जारी रबी फ़सलो जैसे गेहूँ ,चना आदि के आगामी फसल के लिए MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य ) की घोषणा की है ।
मोदी सरकार के द्वारा एक बार फिर किसानों के साथ धोखा और उनकी मेहनत का मज़ाक उड़ाया गया है।पिछले 12 सालो में गेहूं पर सबसे कम MSP बड़ा के मोदी सरकार ने गेहूं उत्पादन करने वाले राज्य जैसे पंजाब , हरियाणा ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के किसानो की कमर तोड़ने का प्रयास किया है ।
जहाँ एक तरफ़ देश की मौजूदा महँगाई दर छह प्रतिशत से अधिक है वहीं गेहूं और चने जैसी फसलों पर दो से ढाई प्रतिशत के बराबर ही MSP बढ़ाया गया है।
उत्तर प्रदेश में जिस तरीक़े से कुल उत्पादन का सिर्फ़ 18 प्रतिशत गेहूं पिछली बार MSP पर ख़रीदा गया वहीं दाल, मक्का आदि फसलों में कोई सरकारी ख़रीद MSP पर नहीं की गई।
इस बार भी किसानों को स्वामिनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुरूप C2+50प्रतिशत के अनुपात में मूल्य निर्धारण नहीं किया गया है वहीं उसकी ख़रीद की गारंटी भी सुनिश्चित नहीं की गई है ।
MSP निर्धारण के साथ साथ MSP पर ख़रीद की गारंटी के लिए लगातार पूरे देश का किसान आंदोलित है और जय किसान आंदोलन इसके बारे में निरंतर अपनी आवाज़ उठाता रहा है ।
सरकार आज की महँगाई दर के हिसाब से भी किसान की बढ़ी हुई लागत को भी इसे नए MSP से पूरा नहीं कर पा रही है वहीं जब सरकार इस बात का दावा करती है कि उसने ऐतिहासिक रूप से किसानों की फसलों की MSP को बढ़ाया है तो ये सिर्फ़ किसानों के साथ एक भद्दा मज़ाक के सिवा कुछ नहीं है ।
जय किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मानवेंद्र वर्मा ने सरकार से ये अपील कि वो किसानों की फसलों के MSP स्वामीनाथन आयोग के C2+50प्रतिशत के आधार पर दिलाई जाए और साथ ही साथ सरकार किसान की अधिकतम फसल को MSP पर ख़रीदने की गारंटी सुनिश्चित करे ।