उन्नाव, ‘हुनर किसी पहचान या पैसे का मोहताज नहीं होती’ की कहावत को चरितार्थ करते हुये उन्नाव जिले के तीन पेंटरों ने लाकडाउन के दौरान वह कारनामा कर दिखाया जिसकी न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तारीफ की बल्कि उसे गरीब कल्याण रोजगार योजना का प्रेरणाश्रोत भी करार दिया।
हसनगंज तहसील और ब्लाक के नारायणपुर गांव में लॉकडाउन अवधि के दौरान अपने गृह जिले लौटे तीन प्रवासी श्रमिक कमलेश कुमार, विनोद कुमार, अरूण कुमार ने को हसनगंज तहसील के एक प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटीन किया गया था। पेंटिंग कार्य में दक्ष तीनो ने अपने हुनर का सदुपयोग करते हुये विद्यालय का रंगरोगन कर उसका कायाकल्प कर दिया। विद्यालय प्रशासन ने खुश होकर जब इन्हे मेहनताना देने की पेशकश की तो उन्होने इसे लेने से सौम्यता के साथ इंकार कर दिया।
कुछ अखबारों में छपी इस खबर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कदर अभिभूत हुये कि उन्होने गरीब कल्याण रोजगार अभियान योजना की शुरूआत करते समय इसका जिक्र किया और इसे योजना का प्रेरणाश्रोत भी करार दिया।
जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर हसनगंज तहसील और ब्लाक के नरायणपुर गांव निवासी अरूण कुमार, कमलेश कुमार और विनोद कुमार लॉकडाउन की शुरूआती अवधि में गांव लौटे तो उन्हें गांव के प्राथमिक विद्यालय में बनाए गये क्वारंटीन सेंटर में रोका गया था। यहां 14 दिनों की क्वारंटीन अवधि में हैदराबाद से लौटे पेंटरों ने खाली बैठने के बजाय कुछ नया करने की सोंचा और ग्राम विकास अधिकारी से पुताई की सामान की मांग की। सामान की उपलब्धता होने पर तीनों ने मिलकर स्कूल का कायाकल्प कर दिया जिसकी आज सभी प्रशंसा कर रहे है।
जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने बताया कि हुनरमंद इन श्रमिकों को रोजगार से जोड़ा जायेगा और आर्थिक मजबूती दिलाई जायेगी। इन प्रवासीय श्रमिको को जिलाधिकारी ने गांव पहुंचकर अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। जिलाधिकारी के गांव पहुंचने के वक्त एक प्रवासी श्रमिक अरूण कुमार वापस चंडीगढ लौट गया था जिससे उसका सम्मान नहीं हो सका।