लखनऊ, उत्तर प्रदेश के शामली में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया तथा प्रधानमंत्री संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौपा।
भाकियू प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप पंवार ने कहा कि कृषि संशोधन विधेयक 2020 किसान विरोधी है। सरकार इन अध्यादेशों को एक देश एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बडा कदम बता रही है। भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृषि क्षेत्र में कंपनी राज के रूप में देख रही है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसको संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापस लेने की मांग कर रही है। इन अध्यादेशों को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस कानून से कंपनी किसानों को अपना बंधुआ मजदूर बना लेगी, कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, आयात-निर्यात किसानों के हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं। देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गए थे। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचैलियों और कंपनियों द्वारा किया जा रहा अतिशोषण बंद हो सकता है और इस कदम से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया जिसमें कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन अध्यादेश 2020 कृषि और किसान विरोधी तीनों अध्यादेशों को तुरंत वापस लिए जाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की सभी फसलों पर लागू करते हुए कानून बनाने, समर्थन मूल्य से कम फसल खरीदी को अपराध की श्रेणी में शामिल करने की मांग की गयी।