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यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पर ब्राहृमण विरोधी होने का आरोप, असंतुष्टों को नोटिस जारी

लखनऊ , यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पर ब्राहृमण विरोधी होने का आरोप लगाने वाले असंतुष्ट नेताओं को पार्टी  की ओर से नोटिस जारी कर दी गईं है।

दो महीने की खामोशी के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आखिरकार असंतुष्ट नेताओं में से दो को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब देने को कहा है अन्यथा उन्हे कार्यवाही के लिये तैयार रहने की चेतावनी दी है।

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जिन दो नेताओं को सोमवार रात नोटिस जारी की गयी है, उन्होने प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस को मजबूत करने के बजाय श्री लल्लू सवर्ण विशेषकर ब्राहृमणों को दरकिनार कर रहे हैं। असंतुष्ट नेताओं ने व्हाट्सएप पर ‘शोषित कांग्रेस सवर्ण’ ग्रुप संचालित किया था। इस ग्रुप में कई वरिष्ठ नेता शामिल थे हालांकि इनमे से कई ने कार्यवाही के भय से ग्रुप से किनारा कर लिया था।

प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी की अनुशासन समिति के सदस्य श्याम किशोर शुक्ला के मार्फत कोनार्क दीक्षित और गौरव दीक्षित को नोटिस दिये है। श्री शुक्ल ने दावा किया कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण के खतरे का सामना कर रहा है। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता गरीबों और मजलूमो की मदद में लगा है वहीं कोनार्क और गौरव पार्टी के बारे में गलत तथ्यों का प्रचार कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष के बारे में अमर्यादित और आपत्तिजनक बयान देना अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है।

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उन्होने कहा कि दोनो को 24 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है वरना अनुशासन समिति कड़ी कार्रवाई करेगी और दोनो को पार्टी से निकाला भी जा सकता है।

इस बारे में काेनार्क दीक्षित ने मंगलवार को कहा कि उन्हे ईमेल के जरिये कल रात नोटिस प्राप्त हुयी है,उन्हे जवाब देने के लिये सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया है। पार्टी संविधान के मुताबिक उन्हे सात दिन का समय मिलना चाहिये था। यह दर्शाता है कि श्री लल्लू किसी भी सूरत में सवर्ण जाति के नेताओं को पार्टी से निकालना चाहते हैं।

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उन्होने आरोप लगाया “ नोटिस भेजने से पहले मेरे पास कई नेताओं के फोन आये थे जिसमें नसीहत दी गयी कि हमारे लिये अच्छा होगा कि हम लल्लू से मिले और अपने मतभेद सुलझाये। इस बारे में श्री राहुल गांधी अथवा श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा से बात नहीं हो सकती।”

श्री दीक्षित ने दावा किया कि उन्होने फैसला किया है कि श्री लल्लू के आगे घुटने नहीं टेकेंगे। नोटिस का जवाब देने के बजाय वे पार्टी को बचाने की लडाई जारी रखेंगे।

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