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स्वच्छता सुधार में साल-दर साल अपनी रैकिंग सुधारता यूपी


तंदुरुस्ती लाख नियामत कहा गया है लेकिन स्वास्थ्य का आधार है स्वच्छता। स्वच्छता के अभाव में ही रुग्णता घर करती है। इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल समझा बल्कि लाल किले की प्राचीर से वर्ष 2014 में स्वच्छता की चर्चा भी की। देश भर में शौचालय निर्माण की अपील भी की।

खुद स्वच्छ  रहने और आस—पास के वातावरण को स्वच्छ रखने का देशवासियों, खासकर नगर निगमों, नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों से आग्रह भी किया। उसी साल स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे की भी शुरुआत की । इससे विभिन्न राज्यों के बीच स्वच्छता का मैच जीतने की होड़ उत्पन्न हुई और इसका प्रतिफल उन्हें उत्तम स्वास्थ्य के रूप में मिल भी रहा है। प्रधानमंत्री ने स्व्च्छ सर्वे अभियान के तहत इस बार देश के 12 स्वच्छ शहरों को पुरस्कृत किया  है, इसमें उत्तर प्रदेश  के 2 नगर निगम वाराणसी और शाहजहांपुर को  यह सम्मान मिला।

शेष  17 निकायों में लखनऊ, फिरोजाबाद, कन्नौज, चुनार, गंगाघाट, आवागढ़, मेरठ कैंट, गजरौला, मुरादनगर, स्याना, पलियाकलां, मल्लावां, बरुआसागर, बकेवर, बलदेव, अछलदा और मथुरा कैंट को यह पुरस्कार मिला है। यह उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है। उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ‘गोपाल जी ने इस उपलब्धि पर न केवल प्रसन्नता जाहिर की है बल्कि इसके लिए नगर निगम और नगर निकायों के कर्मचारियों के स्वच्छता प्रयासों की सराहना भी की है। उत्तर प्रदेश की सुरक्षा रैंकिंग में साल दर साल हो रहे सुधार के लिए भी उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों को साधुवाद दिया है। साथ ही इस बात की अपेक्षा भी की है कि वे इसी तरह का कार्य निरंतर करते रहें।

 गौरतलब है कि वर्ष  2018 में  उत्तर प्रदेश से 3 निकायों और 2019 में 14 निकायों को
 यह सम्मान मिला था। अब  यह संख्या बढ़कर 19 हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में शत—प्रतिशत शौचालय निर्माण का दावा किया है। लगभग 60 हजार सीटों के सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। प्रदेश के सभी निकाय खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।  स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के जो नतीजे आए हैं, उसके मुताबिक 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगरों की श्रेणी में प्रदेश के कई शहरों ने अपनी रैंकिंग सुधारी है।  इनमें लखनऊ 12वें, आगरा 16वें, गाजियाबाद 19वें, प्रयागराज 20वें, कानपुर 25वें और वाराणसी 27वें स्थान पर आ गया है।

नगर निगम शाहजहांपुर को शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की मेहनत रंग लाई है। इससमें  मंत्री आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ का मार्गदर्शन और निर्देशन भी पाथेय बना है। शाहजहांपुर के नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा के नेतृत्व में 166 समूह बनाकर मोहल्लों में प्रचार प्रसार करवाया गया था। इसी तरह से 60 स्वच्छता समितियों का गठन किया गया था। साथ ही सिटीजन फीडबैक पर जोर देते हुए लोगों से सहभागी बनने की अपील की गई। 169 टोल फ्री नंबर पर कॉल करने और इंटरनेट के माध्यम से अपना फीडबैक देने को कहा गया। इसकी समीक्षा केंद्र सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली एक संस्था द्वारा करवाई गई, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड के लिए शाहजहांपुर का चयन किया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 चार जनवरी से प्रारंभ होकर मार्च तक चला था। उसके अंतर्गत शाहजहांपुर को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड के लिए चयन हुआ है।

नगर आवास मंत्री आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ ने कहा है कि “स्वच्छ भारत अभियान हमें स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत मिले लाभों को बनाए रखने में आगे भी मदद करता रहेगा और साथ ही यह सभी शहरों में स्वछता की अवधारणा को संस्थागत बनाने के लिए एक व्‍यापक रोडमैप भी होगा। जैसा कि  उत्तर प्रदेश के शहरों का प्रदर्शन दिखाई दे रहा है यह न हमें केवल ‘स्वच्छ’ बल्कि ‘स्वस्थ,सशक्त, ‘सम्पन्न’ और समृद्ध तथा आत्मनिर्भर नया भारत बनाने के मार्ग पर भी आगे ले जाएगा।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा किए गए वार्षिक स्वच्छता शहरी सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण- स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के लिए स्वच्छ महोत्सव के नाम से आयोजित आभासी कार्यक्रम में उक्त पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार इंदौर ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर का प्रतिष्ठित खिताब जीता है। सूरत और नवी मुंबई ने क्रमशः (1 लाख जनसंख्या श्रेणी में) दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्‍त किया।  छत्तीसगढ़ ने 100 से अधिक यूएलबी श्रेणी में भारत के सबसे स्वच्छ राज्य का प्रतिष्ठित खिताब जीता, जबकि झारखंड को 100से कम यूएलबी श्रेणी में भारत का सबसे स्वच्छ राज्य घोषित किया गया। इसके अलावा अतिरिक्त 117 पुरस्कार भी दिए गए हैं।

 मंत्री आशुतोष टंडन ने इस अवसर पर प्रदेश भर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी से जुड़े घरेलू शौचालयों, के लाभार्थियों तथा सफाईकर्मियों या स्वच्छता कर्मचारियों, कचरा बीनने वाले और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को भी बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत के विकास का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के प्रति उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जी—जान से जुटी हुई है और इस अभियान की सफलता में किसी भी तरह की कोताही और प्रमाद बर्दाष्त नहीं करेगी। हमें इस बात पर गर्व है कि  उत्तर प्रदेश का हर शहरी प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने के लिए हमारे साथ खड़ा है और अपना अमूल्य योगदान दे रहा है।  उन्होंने  डिजिटल भारत की प्रधानमंत्री की कल्‍पना को साकार करने और कचरे का अलग अलग निस्‍तारण, प्लास्टिक का उपयोग न करने और स्वेच्छा योद्धाओं को समुचित सम्‍मान देने की आदतों को अपनाते हुए स्‍वचछता योद्धा बनने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि 2014 में स्वच्छ भारत मिशन- शहरी  (एसबीएम-यू) की शुरुआत 100 प्रतिशत ठोस कचरे के प्रबंधन के साथ शहरी भारत को 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से की गई थी। ओडीएफ की किसी अवधारणा के बिना शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण मात्र 18 प्रतिशत पर रहने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को पांच साल की समय सीमा के भीतर हासिल किये जाने के लिए एक त्वरित दृष्टिकोण आवश्यक था इसलिए राज्यों और शहरों के बीच स्‍वच्‍छता के मामले में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रमुख मापदंडों के आधार पर प्रोत्‍साहित करना जरुरी हो गया था। इन सब बातों को ध्‍यान में रखते हुए ही बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए शहरों को अपनी स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रतिस्पर्धी ढांचा, स्वच्छ सर्वेक्षण की संकल्पना की गई और  और बाद में इसे कार्यान्वित किया गया और इसके नतीजे हमारे सामने हैं।

   गौरतलब है कि जनवरी 2016 में देश के 73 शहरों की रेटिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण किया गया था, उसके बाद जनवरी-फरवरी 2017 में 434 शहरों की रैंकिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 आयोजित किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण था के बाद 2019 में कराए गए सर्वेक्षण में 4203 शहरों को स्थान दिया गया, जिसने न केवल 4237 शहरों को कवर किया, बल्कि यह 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया अपनी तरह का पहला डिजिटल सर्वेक्षण भी था। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 ने इस गति को जारी रखा और कुल 4242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 97 गंगा शहरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें 1.87 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई। 

सियाराम पांडेय ‘शांत’