क्या है ‘विशाखा गाइडलाइन्स’, कामकाजी महिलाओं को जानना है बहुत जरूरी
February 22, 2019
नई दिल्ली, 1992 में राजस्थान की राजधानी जयपुर के निकट भटेरी गांव की महिला भंवरी देवी ने बाल विवाह विरोधी अभियान में हिस्सेदारी की थी। जिसके कारण उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ।
भंवरी देवी मामले के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिये विशाखा दिशानिर्देश बनाया गया था। यह वर्क प्लेस पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर एक कानून है, जिसे विशाखा गाइडलाइंस के नाम से जाना जाता है।
‘विशाखा गाइडलाइन्स’ के तहत आपके काम की जगह पर किसी पुरुष द्वारा मांगा गया शारीरिक लाभ, आपके शरीर या रंग पर की गई कोई टिप्पणी, गंदे मजाक, छेड़खानी, जानबूझकर किसी तरीके से आपके शरीर को छूना,आप और आपसे जुड़े किसी कर्मचारी के बारे में फैलाई गई यौन संबंध की अफवाह, पॉर्न फिल्में या अपमानजनक तस्वीरें दिखाना या भेजना, शारीरिक लाभ के बदले आपको भविष्य में फायदे या नुकसान का वादा करना, आपकी तरफ किए गए गंदे इशारे या आपसे की गई कोई गंदी बात, सब शोषण का हिस्सा है।
विशाखा गाइडलाइंस के दिशा-निर्देश-
– कानूनी तौर पर हर संस्थान जिसमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं वहां, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत अंदरूनी शिकायत समिति (ICC) होना जरूरी है.
– इस कमेटी में 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं होना आवश्यक है और इसकी अध्यक्ष भी महिला ही होगी. इस कमेटी में यौन शोषण के मुद्दे पर ही काम कर रही किसी बाहरी गैर-सरकारी संस्था (NGO) की एक प्रतिनिधि को भी शामिल करना ज़रूरी होता है.
– अगर आपको भी लगता है कि आपका शोषण हो रहा है तो आप लिखित शिकायत कमेटी में कर सकती हैं और आपको इससे संबंधित सभी दस्तावेज भी देने होंगे, जैसे मैसेज, ईमेल आदि. यह शिकायत 3 महीने के अंदर देनी होती है. उसके बाद कमेटी 90 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करती है.
– इसकी जांच में दोनो पक्ष से पूछताछ की जा सकती है. आपकी पहचान को गोपनीय रखना समिति की जिम्मेदारी है. इस गाइडलाइंस के तहत कोई भी कर्मचारी चाहे वो इंटर्न भी हो, वो भी शिकायत कर सकता है. उसके बाद अनुशानात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई विशाखा गाइडलाइंस के मुताबिक ऐसा जरूरी नहीं कि यौन शोषण का मतलब केवल शारीरिक शोषण ही हो। आपके काम की जगह पर किसी भी तरह का भेदभाव जो आपको एक पुरुष सहकर्मियों से अलग करे या आपको कोई नुकसान सिर्फ इसलिए पहुंचे क्योंकि आप एक महिला हैं, तो वो शोषण है।
नई दिल्ली, 1992 में राजस्थान की राजधानी जयपुर के निकट भटेरी गांव की महिला भंवरी देवी ने बाल विवाह विरोधी अभियान में हिस्सेदारी की थी। जिसके कारण उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ।
भंवरी देवी मामले के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिये विशाखा दिशानिर्देश बनाया गया था। यह वर्क प्लेस पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर एक कानून है, जिसे विशाखा गाइडलाइंस के नाम से जाना जाता है।
‘विशाखा गाइडलाइन्स’ के तहत आपके काम की जगह पर किसी पुरुष द्वारा मांगा गया शारीरिक लाभ, आपके शरीर या रंग पर की गई कोई टिप्पणी, गंदे मजाक, छेड़खानी, जानबूझकर किसी तरीके से आपके शरीर को छूना,आप और आपसे जुड़े किसी कर्मचारी के बारे में फैलाई गई यौन संबंध की अफवाह, पॉर्न फिल्में या अपमानजनक तस्वीरें दिखाना या भेजना, शारीरिक लाभ के बदले आपको भविष्य में फायदे या नुकसान का वादा करना, आपकी तरफ किए गए गंदे इशारे या आपसे की गई कोई गंदी बात, सब शोषण का हिस्सा है।
विशाखा गाइडलाइंस के दिशा-निर्देश-
– कानूनी तौर पर हर संस्थान जिसमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं वहां, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत अंदरूनी शिकायत समिति (ICC) होना जरूरी है.
– इस कमेटी में 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं होना आवश्यक है और इसकी अध्यक्ष भी महिला ही होगी. इस कमेटी में यौन शोषण के मुद्दे पर ही काम कर रही किसी बाहरी गैर-सरकारी संस्था (NGO) की एक प्रतिनिधि को भी शामिल करना ज़रूरी होता है.
– अगर आपको भी लगता है कि आपका शोषण हो रहा है तो आप लिखित शिकायत कमेटी में कर सकती हैं और आपको इससे संबंधित सभी दस्तावेज भी देने होंगे, जैसे मैसेज, ईमेल आदि. यह शिकायत 3 महीने के अंदर देनी होती है. उसके बाद कमेटी 90 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करती है.
– इसकी जांच में दोनो पक्ष से पूछताछ की जा सकती है. आपकी पहचान को गोपनीय रखना समिति की जिम्मेदारी है. इस गाइडलाइंस के तहत कोई भी कर्मचारी चाहे वो इंटर्न भी हो, वो भी शिकायत कर सकता है. उसके बाद अनुशानात्मक कार्रवाई की जा सकती है.