कानपुर, डकैत से नेता बनी दिवंगत पूर्व सांसद फूलन देवी की कथित संलिप्तता वाले चार दशक पुराने बेहमई काण्ड मामले में कानपुर की एक विशेष अदालत अब 24 जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है।
विशेष जज सुधीर कुमार शनिवार को अपना फैसला सुनाने वाले थे । उन्होंने इस मामले की केस डायरी उपलब्ध न होने पर अदालत के कर्मचारियों के प्रति नाराजगी जाहिर की और केस डायरी को 24 जनवरी से पहले अदालत में पेश करने को कहा । मालूम हो कि फूलन देवी और उनके साथियों पर कानपुर देहात जिले के बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को 20 लोगों की सामूहिक हत्या करने का आरोप है। माना जाता है कि फूलन ने लाला राम तथा श्रीराम नामक दो लोगों से अपने बलात्कार का बदला लेने के लिये उस वारदात को अंजाम दिया था।
फूलन ने वर्ष 1983 में मध्य प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। बेहमई काण्ड में फूलन समेत 35 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। उनमें से आठ आरोपी पुलिस से हुई अलग—अलग मुठभेड़ों में मारे गये थे। मुख्य अभियुक्त फूलन की 25 जुलाई 2001 को नयी दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस वक्त मामले के कुल सात अभियुक्त जिंदा हैं। उनमें से तीन फरार हैं।
फूलन 11 साल तक मध्य प्रदेश की ग्वालियर और जबलपुर जेल में रहीं और वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा फूलन के खिलाफ मुकदमा वापस ले लिये जाने पर उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि कानपुर की अदालत ने यादव के निर्णय को खारिज कर दिया था और उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बहाल रखा था। बहरहाल, फूलन कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं। वर्ष 1996 में फूलन समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद चुनी गयी थीं। उसके बाद वह 1999 में भी सांसद बनीं।