पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली अब कहीं ज्यादा तेजी से देश के कई बड़े शहरों का हिस्सा बनती जा रही है।
सामान्यत: पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते हैं। आकस्मिक परिस्थितियों में जिलाधिकारी, मंडल का कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के अनुसार ही पुलिस अधिकारी काम करते हैं, लेकिन कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने पर जिलाधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये सभी अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में सीआरपीसी के सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को मिल जाते हैं, ऐसे में पुलिस त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम होती है। जिससे कानून व्यवस्था मजबूत होती है। पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को कई अधिकार मिल जाते हैं। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में बांट दिया जाता है। हर जोन में डीसीपी तैनात किये जाते हैं, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करते हैं, जो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
कमिश्नर सिस्टम मे कुछ इस प्रकार होती हैअफसरों की नियुक्ति-
- पुलिस कमिशनर- CP
- संयुक्त आयुक्त- JCP
- डिप्टी कमिश्नर- DCP
- सहायक आयुक्त- ACP
- पुलिस इंस्पेक्टर- PI
- सब इंस्पेक्टर- SI
- पुलिस दल का सिस्टम लागू रहेगा।