बस्ती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश में समाजवाद के स्तंभ मुलायम सिंह यादव का सोमवार काे निधन होने पर बस्ती वालों की जुबान पर दिन भर मुलायम के बस्ती से लगाव के प्रसंग चर्चा का विषय बने रहे। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा 1996 के आम चुनाव की रही जब नेताजी के महज एक भाषण ने चुनाव का रुख ही बदल कर रख दिया।
डुमरियागंज लोकसभा सीट पर 1996 का चुनाव ‘नेताजी’ के उपनाम से लोेकप्रिय मुलायम सिंह की राजनीतिक पकड़ और जनता की नब्ज को टटोलने की अद्भुद क्षमता का नजीर बन गया। इस चुनाव में प्रचार अपने चरम पर था। समाजवादी पार्टी (सपा) चुनाव मैदान में पूरी तरह से कमजोर साबित हो रही थी। नेताजी को जब यह पता चला तो उन्होंने पहले हालात का जायजा लिया और एक खास समय चुनकार जनसभा करने के लिये डुमरियागंज जा पहुंचे। उन्होंने महज 05 मिनट के मार्मिक भाषण से जनता का दिल जीत लिया। इसका लोगों में इस कदर असर हुआ कि सपा उम्मीदवार बृजभूषण तिवारी भारी मतों से चुनाव जीत गये।
इस सीट पर 1991 में तिवारी चुनाव हार गये थे और जनता से कटे रहने के कारण 1996 के चुनाव में जनता, खासकर मुस्लिम मतदाता उनसे बेहद नाराज थे। इस चुनाव में यादव मतदाता भी पूरी तरह सपा से नहीं जुड़ पाये थे। मुसलमान मतदाता कांग्रेस की उम्मीदवार मोहसिना किदवई और निर्दलीय सीमा मुस्तफा के पक्ष में बंटे थे। वहीं अगड़ी जातियों में भाजपा के रामपाल सिंह ने सेंधमारी कर ली थी। ऐसे में सपा के तिवारी बहुत कमजोर पड़ गये।
इस स्थिति की जानकारी मिलने पर मुलायम सिंह ने ईद के दिन जनसभा करने का निर्णय लिया। मई में मतदान होना था और सभा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होनी थी। भीषण गर्मी और ईद के दिन जनसभा रखना किसी जोखिम से कम नहीं था, लेकिन उन्होंने यह जोखिम उठाया।
सपा कार्यकर्ताओं नेताजी की जनसभा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। दूसरी तरफ मुस्लिमों के दिल में उत्सुकता बनी रही कि आखिर मुलायम सिंह ईद के दिन ऐसा क्या कहने आ रहे हैं। ईद के दिन प्रस्तावित सभास्थल पर जनसभा हुई और नेताजी महज पांच मिनट के लिये सभास्थल पर आये। उन्हें सुनने के लिये लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग सभास्थल पर जुट गये।
नेताजी ने अपना भावनात्मक भाषण शुरू करते हुए पहले ईद की बधाई दी और कहा, “मुस्लिम भाईयों, सिर्फ आपके अधिकारों की लड़ाई लड़ने के कारण एक जमात मुझे ‘मुल्ला मुलायम’ और ‘मुस्लिमों की औलाद’ कहता है। हम आपसे दूर रह कर आराम से राजनीति कर सकते हैं, लेकिन मैं आपकी मदद के लिये खड़ा हो रहा हूं और बदले में मुझे गालियां मिल रही है।”
सार्वजनिक रूप से अपनी कमी पूरी साफगोई से स्वीकार करने वाले नेताजी ने जनता के बीच स्वीकार किया कि बृजभूषण तिवारी ने आपसे कभी संवाद नही बनाया। उन्होंने कहा, “मैं उसके लिए माफी मांगते हुए दामन फैला कर आपसे उन्हीं के लिए वोट मांगने आया हूं। मेरी इज्जत आपके हाथ में है, हम कभी डुमरियागंज को अकेला नहीं छोड़ेंगे। यहां के लोगों के लिए तो काम करेंगे ही, पूरे प्रदेश के लिए कार्य करेंगे। किसानों के हक की लड़ाई के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।”
उनके पांच मिनट के भाषण के बाद मुलायम सिंह सभास्थल से चले गये। मगर इसका असर यह हुआ कि सभास्थल में मौजूद हर मुसलमान, मुलायम सिंह के लिये अपना वोट न्यौयछावर करने का नारा लगाने लगा। बस इतने मात्र से चुनाव की हवा बदल गयी। जब चुनाव परिणाम आया तो सपा उम्मीदवार बृजभूषण तिवारी को 1,79,675 वोट मिले, वहीं भाजपा के रामपाल सिंह को 1,65,752 मत ही पा सके। मुस्लिम वोटों का ऐसा ध्रुवीकरण हुआ कि राष्ट्रीय कद की नेता मोहसिना किदवई और सीमा मुस्तफा अपनी जमानत तक नहीं बचा पाईं।
इस परिणाम से मुलायम सिंह का भी डुमरियागंज से लगाव आत्मीय हो गया था। वे डुमरियागंज के युवा नेता मलिक कमाल युसूफ को आगे बढ़ाया और तिवारी को नेताजी ने सपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। यहां के लोग नेताजी के निधन पर इस चुनाव को याद करते हुए यूसुफ को भी याद करने लगे, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे।