कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वीडियो कॉन्फ्रेंस से बातचीत के बाद पूर्व अमेरिकी राजदूत और विदेशी मुद्दों के जानकार प्रोफेसर निकोलस बर्न्स चर्चा मे आ गयें हैं।
64 साल के निकोलस बर्न्स अमेरिका के पूर्व राजनयिक हैं। उन्होने करीब 27 साल अमेरिकी सरकार के लिए काम किया है। इसमें उन्होंने राजदूत, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता, नाटो के प्रवक्ता आदि महत्वपूर्ण पद संभाले हैं।
फिलहाल वह हॉवर्ड केनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। इसके साथ वह अनेक मुद्दों पर कॉलम भी लिखते हैं। वह कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध पर लेक्चर देते हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बातचीत में निकोलस बर्न्स ने लोकतंत्र पर बहुत ही सुंदर वक्तव्य दिया। उनहोने यह भी बताया कि क्यों भारत अमेरिका के करीब है।
निकोलस बर्न्स ने कहा, मुझे लगता है कि आपने अमेरिका के एक केंद्रीय मुद्दे की पहचान की है। आशा कि किरण और अच्छी खबर यह है कि हमारे यहां पूरे हफ्ते संयुक्त राज्य अमेरिका के हर प्रमुख शहर में सहिष्णुता, समावेशन, अल्पसंख्यक अधिकारों के आधार पर इस सप्ताह शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वाले लोग हैं। ये सभी आवश्यक मुद्दे हमारे लोकतंत्र के मूल में हैं। मुझे लगता है कि चीन जैसे अधिनायकवादी देश के मुकाबले लोकतंत्रवादियों के पास फायदा है कि हम खुद को सही कर सकते हैं। स्वयं ही खुद को सही करने का का भाव हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र के जरिए हम इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में मतपेटी के जरिए हम करते हैं। हम हिंसा कि ओर नहीं मुड़ते। हम ऐसा शांति से करते हैं। वही भारतीय परंपरा है। जिसके कारण हम आपकी स्थापना के समय से ही भारत से प्यार करते हैं। 1930 का विरोध आंदोलन, नमक सत्याग्रह से 1947-48 तक। इसलिए मुझे लगता है कि मैं आपके देश पर टिप्पणी नहीं कर सकता, क्योंकि मैं इसे उतना नहीं जानता। लेकिन मेरे देश के बारे में मैं बोल सकता हूं कि हम वापस आ जाएंगे।